Supreme Court Decision : पत्नी की संपत्ति पर पति का कितना अधिकार, सुप्रीम कोर्ट ने दिया सुप्रीम फैसला
Supreme Court विवाहित जोड़े की संपत्ति से जुड़े एक मुकदमे में सुप्रीम कोर्ट ने अहम टिप्पणी की है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एक पति का पत्नी के स्त्रीधन (महिला की संपत्ति) पर कोई नियंत्रण नहीं होता। अदालत ने कहा कि संकट के समय पति पत्नी के स्त्रीधन का इस्तेमाल कर सकता है लेकिन संपत्ति लौटाना उसका नैतिक दायित्व है।आइए जानते है इसके बारे में विस्तार से.
Trending Khabar TV (ब्यूरो) : विवाहित जोड़े की संपत्ति से जुड़े एक मुकदमे में सुप्रीम कोर्ट ने अहम टिप्पणी की है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एक पति का पत्नी के 'स्त्रीधन' (महिला की संपत्ति) पर कोई नियंत्रण नहीं होता। 10 साल से अधिक पुराने इस मुकदमे में अपने हक की लड़ाई के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंची महिला के मामले की सुनवाई जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ में हुई। कोर्ट ने पत्नी के 'स्त्रीधन' पर पति का नियंत्रण होने के मामले में अहम टिप्पणी की।
अदालत ने क्या कहा?
अदालत ने कहा कि संकट के समय पति पत्नी के स्त्रीधन का इस्तेमाल कर सकता है, लेकिन संपत्ति लौटाना उसका नैतिक दायित्व है। अदालत ने एक महिला के खोए हुए सोने के बदले 25 लाख रुपये लौटाने का निर्देश देते हुए अपने फैसले में यह अहम बात कही। इस मामले में महिला ने दावा किया कि शादी के समय उसके परिवार ने उसे 89 सोने के सिक्के उपहार में दिए थे। साथ ही शादी के बाद उनके पिता ने उनके पति को दो लाख रुपये का चेक दिया था।
महिला ने क्या कहा?
महिला के अनुसार, शादी की पहली रात उसके पति ने सभी गहने अपने कब्जे में ले लिए। गहनों को सुरक्षित रूप से सहेजने के नाम पर उसने गहने अपनी मां को दे दिए। महिला के आरोप के अनुसार, पति और उसकी सास ने अपनी पुराने कर्जों का निपटारा करने के लिए उसके गहनों का दुरुपयोग किया। मामला अदालत में पहुंचने के बाद फैमिली कोर्ट ने 2011 में पारित फैसले में महिला के आरोपों को सही पाया।
स्त्रीधन पत्नी और पति की संयुक्त संपत्ति नहींः SC
कोर्ट ने पति और उसकी मां से उक्त दुरुपयोग से हुए नुकसान की भरपाई करने का निर्देश दिया। बाद में मामला केरल हाई कोर्ट पहुंचा। यहां कोर्ट ने पारिवारिक अदालत से मिली राहत को आंशिक रूप से खारिज कर कहा कि महिला पति और उसकी मां द्वारा सोने के आभूषणों की हेराफेरी को साबित करने में असफल रही। हालांकि, मामला जब सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा तो शीर्ष अदालत ने कहा कि स्त्रीधन पत्नी और पति की संयुक्त संपत्ति नहीं है।
पति का नहीं है इस पर कोई नियंत्रण
पति के पास मालिक के रूप में ऐसी संपत्ति पर कोई अधिकार नहीं होता। कोर्ट ने साफ किया कि किसी महिला को शादी से पहले, शादी के समय या विदाई के समय या उसके बाद उपहार में दी गई संपत्तियां स्त्रीधन संपत्तियां हैं। यह महिला की पूर्ण संपत्ति है। उसे अपनी खुशी के अनुसार इनका निपटान करने का पूरा अधिकार है। पति का इस पर कोई नियंत्रण नहीं है।