Sawan Shivratri : सावन शिवरात्रि के दिन करें ये काम, शिवजी हो जाएंगे प्रसन्न
Trending Khabar TV (ब्यूरो) : शिवरात्री का व्रत काफी बड़ी संख्या में लोग रखते हैं। साथ ही शिवलिंग का जलाभिषेक करते हैं। धार्मिक मान्यता के मुताबिक, सावन की शिवरात्रि (shiv pujan me kin galtiyo ko nhi karna chahiye) पर व्रत के साथ भगवान शिव और माता पार्वती की उपासना की जाती है। उपासना करने से जीवन में सुख समृद्धि की प्राप्ति भी होती है।
सावन शिवरात्रि के दिन करें ये कार्य
शिवरात्रि के दिन सबसे पहले आपको सुबह जल्दी उठकर घर की अच्छे तरीके से साफ सफाई करनी चाहिए। जिसके बाद आपको स्नान आदि करना चहिए। यदि संभव (shiv pujan me kin galtiyo ko nhi karna chahiye) हो पाए तो आपको इस दिन उपवास जरूर करना चाहिए। साथ ही आपको अब किसी शिव मंदिर में जाकर सबसे पहले गणेश जी का स्मरण करें और उनको प्रणाम करें। फिर आपको अब गंगाजल से भगवान शिव का अभिषेक करें। भगवान शिव का अभिषेक लोटे से ही करें। इसके बाद कच्चे दूध से अभिषेक करें।
इन चीजों से करें शिवजी का अभिषेक
अब सामान्य जल से अभिषेक करें, इसके लिए जल में बेलपत्र और सुगंध मिलाकर शिवलिंग पर अर्पित करें। आप अपनी इच्छा के अनुसार, पीतल के लोटे में दूध, दही, शहद, गंगाजल और जल मिलकर पंचामृत बना सकते हैं और इस पंचामृत से भगवान शिव का अभिषेक कर सकते हैं। अभिषेक (Sawan Shivratri Fasting) करने के दौरान ॐ नमः शिवाय मंत्र या महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें। शिवलिंग का अभिषेक करने के बाद शिवलिंग पर भांग, धतूरा, बेलपत्र, शमी के पत्ते, पुष्प और फल आदि अर्पित करें। इस दौरान भी मंत्र जाप या शिव चालीसा का पाठ करना चाहिए।
माता पार्वती को करें सिंदूर अर्पित
महिलाएं पूजा के दौरान माता पार्वती को श्रृंगार का सामान जैसे हरी चूड़ियां, सिंदूर, बिंदी, मेहंदी और वस्त्र आदि अर्पित करें। मां पार्वती को सिंदूर अर्पित करने के बाद इस सिंदूर का माथे (Sawan shivratri 2024 date) पर तिलक जरूर लगाएं, विवाहित स्त्रियां सिंदूर को मांग में भी लगाएं। अविवाहित कन्याओं को इस दौरान ‘राम रक्षा स्त्रोत’ का पाठ करना चाहिए। माता पार्वती को पुष्प और फल अर्पित करें। आखिर में पूजा का समापन आरती के साथ करें।
शिवरात्री के दिन करें ब्रह्मचर्य का पालन
सावन शिवरात्रि के दिन ब्रह्मचर्य का पालन करना जरूरी (Sawan shivratri Rules) होता है। हो सके तो इस शिवरात्रि की पूरी रात जागरण करें और भगवान शिव का सत्संग कीर्तन करें।