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Budget 2024-25 : इन कंपनियों से सरकार बेच रही अपनी हिस्सेदारी, बजट पर पड़ेगा ये असर

Budget 2024 Update: नए अपडेट के अनुसार आपको बता दें कि सरकार ने अब जल्द ही कई कंपनियों से अपनी हिस्सेदारी को बेचने का निर्णय ले लिया है। जिसका 2024-2025 के बजट पर तगड़ा प्रभाव पड़ने वाला है। साथ ही इससे आर्थिक स्थिरता बढ़ने और विकास को बढ़ावा मिलने की संभावना है। आइए जानते हैं बजट से संबंधित इस अपडेट के बारे में विस्तार से खबर के माध्यम से। 
 
Budget 2024-25 : इन कंपनियों से सरकार बेच रही अपनी हिस्सेदारी, बजट पर पड़ेगा ये असर

Trending Khabar TV (ब्यूरो) : हर साल पूरे देश में किए जाने वाले खर्चे का बजट साल के आरंभ में ही राजस्व एकत्रित होने के बाद बना लिया जाता है। लेकिन अगर आप ये विचार कर रहे हैं कि इससे आम आदमी को क्या फर्क पड़ता है तो आपको बता दें कि भविष्य में मुद्रा स्फिति (monetary inflation) को लेकर कई संभावनाएं बन रही हैं। हाल ही में सरकार द्वारा कुछ कंपनियों में से अपना हिस्सा (in companies se bech rhi hai sarkar hisedari) बेचे जाने की तैयारी है। आइए जानते हैं कंपनियों के नाम और इस कंपनियों में सरकारी हिस्सेदारी बेचने के बारे में डिटेल से।

 

 

केंद्रीय बजट में ये की जा सकती है घोषणा


नवीन बजट पेश होने में बहुत कम समय बचा है। इसके अगले महीने जारी होने की उम्मीद है।  सरकार रेल, फर्टिलाइजर और रक्षा क्षेत्र में अपनी हिस्सेदारी कम करने पर विचार कर रही है। इसके लिए वह ऑफर फॉर सेल का उपयोग कर सकती है। यह जुलाई के अंत में पेश होने वाले केंद्रीय बजट में घोषित होने की उम्मीद है, जो वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) पेश करेंगी। यह इन क्षेत्रों में निवेश करना चाहने वालों के लिए अच्छी खबर हो सकती है। वहीं, हिस्सेदारी बेचने से सरकार को भी बड़ी रकम मिलेगी, जो उसे राजकोषीय घाटा कम करने में मदद करेगी।


लंबे समय से हो रही MDL में हिस्सेदारी बेचने की बातचीत


जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट गौरांग शाह ने कहा कि सरकार इंडियन रेलवे फाइनेंस कॉर्पोरेशन, नेशनल फर्टिलाइजर्स लिमिटेड और राष्ट्रीय केमिकल एंड फर्टिलाइजर्स लिमिटेड में अपनी हिस्सेदारी बेचने पर विचार कर रही है। रक्षा क्षेत्र में (Mazagon Dock (MDL) में अपनी हिस्सेदारी भी कम करना उसका लक्ष्य है। शेयर मार्केट और रिटेल इन्वेस्टर्स के लिए यह काफी महत्वपूर्ण है। रक्षा मंत्रालय पिछले साल से MDL में हिस्सेदारी बेचने की बातचीत कर रहा है।

इस स्ट्रेटजी से सरकार बेचने वाली है अपनी हिस्सेदारी


स्ट्रेटेजिक सेल्स बहुत मुश्किल होते हैं। इसके बारे में लंबी बहस होती है। नियमन भी काफी लंबा खिंच जाता है। इनमें काफी समय बिताया गया है। ऐसे में सरकार हिस्सेदारी बेचने के लिए ऑफर फॉर सेल (OFS) प्रक्रिया का उपयोग कर सकती है, जो बहुत सरल और प्रभावी है। सरकार अपनी सहूलियत के हिस्सेदारी से कम या अधिक बेचकर कंपनी में बनी भी रह सकती है।

जानें किस कंपनी में कितनी है सरकार की हिस्सेदारी


86।36% सरकारी IRFC में हिस्सेदारी है। 11।36 प्रतिशत हिस्सा बेच सकती है। सरकार इससे लगभग 7,600 करोड़ रुपये की कमाई करेगी। SEBI के मिनिमम पब्लिक शेयरहोल्डिंग नियमों (Minimum Public Shareholding Rules) के अनुसार बिक्री करना भी आवश्यक है। इसके अनुसार, लिस्टेड कंपनी में कम से कम 25% जनता का शेयर होना चाहिए।

पिछले दिनों के स्टॉक रिकॉर्ड 


ज्ञात होना चाहिए कि मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (Mazagon Dock Shipbuilders Limited) में सरकार की 84।83 प्रतिशत हिस्सेदारी भी है। सरकार अपनी हिस्सेदारी को दस प्रतिशत तक कम कर सकती है। पिछले कुछ समय में रक्षा क्षेत्र के स्टॉक में भारी वृद्धि हुई है। एक साल में मात्र मझगांव डॉक के शेयर करीब 250 प्रतिशत तक बढ़ गए हैं। इससे सरकार को बहुत पैसा मिलने की उम्मीद है। सरकार भी RCF और NFL में 10 और 20 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने पर विचार कर रही है। सरकार को इससे लगभग 12,000 करोड़ रुपये मिलेंगे।

कंपनियों में हिस्सेदारी को कम करने के फैसले को मिल रही सराहना


आपको बता दें कि एक्सपर्ट ने सरकारी कंपनियों में हिस्सेदारी को कम करने के विचार को सराहा है। जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट गौरांग शाह ने कहा, 'MDL, IRFC, NFL और RCF में कुछ हिस्सेदारी घटाने का फैसला (The government's decision to reduce stake in companies) काफी अच्छा है। बजट के दौरान या बजट के बाद सरकार से विनिवेश की चर्चा होती है। लेकिन, अक्सर बातें कागज पर रह जाती हैं और वास्तव में नहीं होती हैं। इस बार ऐसा नहीं होगा।

हिस्सेदारी कम करना इसलिए है महत्वपूर्ण 

शाह ने कहा कि सरकार की हिस्सेदारी कम करना भी महत्वपूर्ण है क्योंकि बाजार में फ्लोट बहुत कम है। फ्लोट बढ़ नहीं सकता जब तक हिस्सेदारी बेचने का निर्णय लागू नहीं होगा। उनका कहना था कि सरकार को उन सभी कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी कम करने का विचार करना चाहिए, जिनमें उसका अधिकांश हिस्सा है। सरकार और रिटेल इन्वेस्टर्स दोनों इससे लाभ उठाएंगे (बजट 2024)।