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Supreme Court Decision : पत्नी की संपत्ति में पति का कितना अधिकार, जानिये सुप्रीम कोर्ट के फैसले की 5 बड़ी बातें

Supreme Court Ruling On Stridhan: सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि पत्नी के 'स्त्रीधन' (महिला की प्रॉपर्टी) पर पति का कोई नियंत्रण नहीं. वह पत्नी की प्रॉपर्टी का इस्तेमाल जरूर कर सकता है.आइए जानते है इसके बारे में विस्तार से.

 
Supreme Court Decision : पत्नी की संपत्ति में पति का कितना अधिकार, जानिये सुप्रीम कोर्ट के फैसले की 5 बड़ी बातें

Trending Khabar TV (ब्यूरो) : सुप्रीम कोर्ट ने महिला अधिकारों से जुड़ा एक अहम फैसला सुनाया है. अदालत के अनुसार, पत्नी के 'स्त्रीधन' पर पति का कोई अधिकार नहीं बनता. दूसरे शब्दों में, पत्नी की प्रॉपर्टी पर पति को किसी तरह का हक हासिल नहीं है. कोर्ट ने कहा कि मुसीबत के वक्त में पति जरूर पत्नी की संपत्ति (स्त्रीधन) का इस्तेमाल कर सकता है. लेकिन बाद में उसे पत्नी को लौटा देना पति की नैतिक दायित्व बनता है. जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने कहा कि 'स्त्रीधन' प्रॉपर्टी शादी के बाद पति और पत्नी की साझा संपत्ति नहीं बन जाती. पति का उस संपत्ति पर किसी तरह का मालिकाना हक नहीं बनता. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि शादी आपसी विश्वास पर टिकी होती है. सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले में फैसला सुनाते हुए यह टिप्पणी की. अदालत एक महिला की याचिका सुन रही थी जिसके पति ने उसे मायके से मिला सोना रख लिया था. कोर्ट ने आदेश दिया कि सोने के बदले पति अपनी पत्नी को 25 लाख रुपये अदा करे. पढ़ें, 'स्त्रीधन' पर सुप्रीम कोर्ट के अहम फैसले की 5 बड़ी बातें.

क्या था मामला:

महिला के मुताबिक, शादी के वक्त उसे अपने परिवार से सोने के 89 सिक्के गिफ्ट में मिले थे. शादी की पहली रात को ही पति ने पत्नी की सारी ज्वेलरी ले ली. गहने सुरक्षित रखने के नाम पर अपनी मां को सौंप  दिए. महिला का आरोप है कि उसके पति और सास ने गहनों में हेरफेर किया. अपने कर्ज चुकाने के लिए उन्होंने महिला के गहने बेच दिया. शादी के बाद, महिला के पिता ने उसके पिता को 2 लाख रुपये का चेक भी दिया था.

कोर्ट में पहुंचा मामला:

2011 में फैमिली कोर्ट ने पाया कि पति और उसकी मां ने महिला के सोने का गबन किया था. कोर्ट ने कहा कि महिला को जो नुकसान हुआ, वह उसकी भरपाई की हकदार है. पति ने फैमिली कोर्ट के फैसले के खिलाफ केरल हाई कोर्ट में अपील दायर की. HC ने फैमिली कोर्ट के फैसले को पलट दिया. कहा कि महिला यह साबित नहीं कर पाई कि उसके पति और सास ने गहनों से छेड़छाड़ की थी. इसके बाद महिला सुप्रीम कोर्ट चली गई.

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा:

जस्टिस खन्ना और जस्टिस दत्ता की बेंच ने साफ कहा कि 'स्त्रीधन' पति-पत्नी की साझा संपत्ति नहीं है. पत्नी की संपत्ति पर पति का कोई अधिकार नहीं बनता. अदालत ने कहा, 'पति का उसकी (पत्नी) स्त्रीधन संपत्ति पर कोई नियंत्रण नहीं है. वह मुसीबत के समय इसका इस्तेमाल कर सकता है लेकिन उसे वापस करना पति का नैतिक दायित्व है.'

'स्त्रीधन क्या होता है:

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'शादी से पहले, शादी के दौरान और विदाई या उसके बाद महिला को उपहार में मिली संपत्तियां उसका 'स्त्रीधन' होती हैं. यह उसकी पूर्ण संपत्ति है और वह अपनी इच्छानुसार इसका जो चाहे कर सकती है.'

सुप्रीम कोर्ट का फैसला:

शीर्ष अदालत ने कहा कि महिला ने 89 सोने के सिक्कों के बदले में रुपयों की वसूली के लिए सफलतापूर्वक कार्रवाई शुरू की है. साल 2009 में इनका मूल्य 8.90 लाख रुपये था. बेंच ने कहा, 'इस दौरान फैमिली कोर्ट के फैसले को बरकरार रखना, बिना किसी अतिरिक्त बात के, उसके साथ अन्याय होगा. समय बीतने, जीवन-यापन की बढ़ती लागत और समानता तथा न्याय के हित को ध्यान में रखते हुए, हम संविधान के अनुच्छेद 142 द्वारा दी गई शक्ति का प्रयोग करते हुए अपीलकर्ता को 25,00,000 रुपये की राशि प्रदान करना ठीक समझते हैं.'