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लोन नहीं भरने वालों को RBI ने दी बड़ी राहत, बैंकों को जारी किए ये निर्देश

RBI Latest updates : अक्सर पैसे की तंगी के चलते लोग लोन ले तो लेते हैं लेकिन बढ़ते वक्त परेशानी का सामना करना पड़ता है। कहा जाता है कि लोन लेना जितना आसान है उतना ही मुश्किल है इसकी ईएमआई को चुकाना। आपको बता दे की लोन न भरने वालों को लेकर आरबीआई ने बड़ा अपडेट जारी किया है। आइए खबर में जानते हैं आरबीआई के इन निर्देशों के बारे में विस्तार से।
 

Trending Khabar TV (ब्यूरो)। जब भी ग्राहक लोन पर डिफॉल्ट (default on loan) करता है, तो यहां तीन पक्ष होते हैं- ग्राहक, बैंक और रिकवरी एजेंट। बैंक रिकवरी एजेंट्स (Bank Recovery Agents) को हायर करते हैं कि वो ग्राहक से लोन बकाया वसूल करें। इन रिकवरी एजेंट्स को लोन वसूल करने पर कमीशन (Commission on recovery of loan) मिलता है। ऐसे में इनके पास कमीशन पाने का यही तरीका होता है कि आपसे किसी भी तरह से वसूली करवा ली जाए।


लोन लेने की जरूरत किसी को भी पड़ सकती है। और अगर मुश्किल वक्त रहा तो लोन पर डिफॉल्ट (loan default) करने की भी नौबत किसी के भी साथ आ सकती है। लोन डिफॉल्ट आर्थिक सेहत के लिए तो बड़ा संकट है ही, मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी बहुत बड़ी परेशानी है, क्योंकि अकसर ऐसे मामलों में ग्राहक को लोन रिकवरी एजेंट्स (loan recovery) की ओर से हैरेसमेंट भी झेलना (face harassment) पड़ सकता है। 

क्या होती है लोन रिकवरी एजेंट की भूमिका? (Role of Loan Recovery Agent)


दरअसल, जब भी ग्राहक लोन पर डिफॉल्ट (default on loan) करता है, तो यहां तीन पक्ष होते हैं- ग्राहक, बैंक और रिकवरी एजेंट। बैंक रिकवरी एजेंट्स को हायर करते हैं कि वो ग्राहक से लोन बकाया वसूल करें। इन रिकवरी एजेंट्स को लोन वसूल करने पर कमीशन मिलता है। 
ऐसे में इनके पास कमीशन पाने का यही तरीका होता है कि आपसे किसी भी तरह से वसूली करवा ली जाए। और कभी-कभी वो किसी भी हद तक जाने को तैयार हो जाते हैं, जोकि ग्राहक के लिए बड़ा संकट पैदा कर देता है। मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित (mental health affected) करने से लेकर कुछ मामलों में तो खुदकुशी जैसी स्थितियां पैदा हो जाती हैं।


recovery agent की कौन सी हरकतें हैरेसमेंट कही जाएंगी?


अगर एजेंट आपको फोन पर बार-बार धमकी दे रहा है और गाली-गलौज कर रहा है। आपको भद्दे और अश्लील मैसेज और बातें भेज रहा है।
आपके ऑफिस तक, आपके बॉस तक पहुंच रहा है।
आपके परिवार और सहयोगी कर्मचारियों को तंग कर रहा है।
कानूनी कार्रवाई कराने या फिर गिरफ्तारी कराने की धमकी दे रहा है।
आपके घर या ऑफिस पर आकर आपको दूसरों के सामने धमकी दे रहा है और शर्मिंदा कर रहा है।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर हथकंडे अपना रहा है।
आपको ज्यादा लोन लेकर बकाया भरने या फिर घर-बार बेचने पर मजबूर कर रहा है।
एक से ज्यादा लोगों का इस्तेमाल कर रहा है या फिर आपका पीछा कर रहा है।
सरकारी लोगो का या मुहर का फर्जी इस्तेमाल करके आपको डरा रहा है।

बैंकों के लिए हैं RBI के ये निर्देश

बैंक ग्राहक से वैध तरीकों से लोन वसूल कर सकते हैं। RBI के Fair Practice Code के तहत ही उन्हें पारदर्शिता और न्यायसंगत तरीकों से लोन रिकवर करना होता है। 
बैंक किसी भी तरह का शोषण नहीं कर सकते हैं, चाहें वो मौखिक हो या शारीरिक। धमकी नहीं दी जा सकती।
लोन रिकवरी के लिए तीसरे पक्ष को लोन की जानकारी देने की तबतक जरूरत नहीं होगी, जब तक कानूनी रूप से इसकी जरूरत नहीं पड़ती। उधारकर्ता की प्राइवेसी की सुरक्षा करना बैंकों की जिम्मेदारी है।


बैंकों को डिफॉल्ट की स्थिति में उधारकर्ता को पहले नोटिस ऑफ डिफॉल्ट भेजना होगा। इसमें डिफॉल्ट की पूरी डीटेल, जैसे कि कितना बकाया है, और डिफॉल्ट की स्थिति में उधारकर्ता को अब क्या कदम उठाने चाहिए। इसके साथ ही ग्राहकों को एक लोन अकाउंट स्टेटमेंट भी दिया जाना चाहिए।
अगर बैंक लोन रिकवरी एजेंट्स का सहारा ले रहे हैं तो ये ध्यान रखना होगा कि ये एजेंट्स आरबीआई की आचार संहिता के तहत ही अपना काम करें। इन एजेंट्स के पास आईडी कार्ड, ऑथराइजेशन लेटर और बैंक की ओर से जारी किए गए नोटिस की कॉपी हो। आरबीआई के नियमों के तहत ये एजेंट्स ग्राहकों का किसी भी तरह से शोषण नहीं कर सकते हैं।
लोन सेटलमेंट के वक्त बैंक की ओर से ग्राहकों को सभी उपलब्ध विकल्प दिए जाने चाहिए।


अगर बैंक ग्राहक की किसी चल-अचल संपत्ति की नीलामी कर रहे हैं, तो उन्हें इसे Securitisation and Reconstruction of Financial Assets and Enforcement of Security Interest Act, 2002 (SARFAESI Act) और Security Interest (Enforcement) Rules, 2002 के प्रावधानों के तहत ही करना होगा। 
बैंक आपके लोन कॉन्ट्रैक्ट में आपकी संपत्ति को कब्जे में लेने का प्रावधान भी रख सकते हैं, ये आपको पहले से चेक कर लेना चाहिए क्योंकि डिफॉल्ट की स्थिति में ये क्लॉज वैध होने पर बैंक के पास कब्जे का अधिकार होगा। कॉन्ट्रैक्ट में नोटिस पीरियड, नोटिस पीरियड से छूट, और कब्जे की प्रक्रिया की डीटेल होनी चाहिए।

रिकवरी एजेंट्स के लिए क्या हैं RBI के निर्देश?

सबसे पहले तो बैंकों को जांच-परखकर रिकवरी एजेंट्स को हायर (Hire recovery agents) करना चाहिए। उनका वेरिफिकेशन होना चाहिए।
बैंकों की ओर से ग्राहकों को रिकवरी एजेंट (Customer Recovery Agent) और उसकी एजेंसी की जानकारी देनी चाहिए। 
बैंक की ओर से रिकवरी एजेंट को दिए गए नोटिस और ऑथराइजेशन लेटर में रिकवरी एजेंट्स के नंबर होने चाहिए और जो भी कॉल पर बातचीत होती है, वो रिकॉर्ड होनी चाहिए।
अगर ग्राहकों की ओर से रिकवरी प्रोसेस को लेकर कोई शिकायत होती है तो बैंकों के पास इसके समाधान के लिए प्लेटफॉर्म होना चाहिए।
एजेंट्स को ग्राहकों से मिलने पर अपनी आईडी दिखानी चाहिए। अगर वो ऐसा नहीं करते हैं तो ग्राहक इसकी शिकायत कर सकते हैं। 
रिकवरी एजेंट ग्राहक से दुर्व्यवहार नहीं कर सकते, न ही किसी के सामने आपको शर्मिंदा कर सकते हैं। धमकी और गाली-गलौज की बात दूर है।
साथ ही रिकवरी एजेंट्स आपको ऊटपटांग टाइम पर कॉल भी नहीं कर सकता। एजेंट्स ग्राहक को बस सुबह 7 बजे से शाम 7 बजे के बीच में ही कॉल कर सकते हैं।


अगर हैरेसमेंट हो रही है तो क्या कर सकते हैं?


आप पुलिस के पास शिकायत दर्ज करा सकते हैं। पुलिस शिकायत नहीं दर्ज करती तो आप मजिस्ट्रेट के पास जा सकते हैं।
पुलिस की ओर से मदद न मिलने पर आप सिविल कोर्ट में जा सकते हैं। कोर्ट या तो रिकवरी एजेंट पर लगाम लगा सकता है या फिर कोई ऐसा हल सुलझा सकता है जो दोनों पक्षों के लिए फायदे वाला हो।


आप रिजर्व बैंक के पास भी जा सकते हैं। सेंट्रल बैंक ऐसे रिकवरी एजेंट्स पर बैन भी लगा सकता है।
आप बैंक से शिकायत कर सकते हैं कि आपकी निजता का उल्लंघन किया जा रहा है या फिर आप मानहानि का केस भी फाइल कर सकते हैं।