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Life insurance को लेकर नियमों में बदलाव, जानिए पॉलिसी को क्या होगा फायदा

Life Insurance Policy Rules Change : देखा जाता है कि हर महीने की 1 तारीख को कई तरह के नियमों में बदलाव किया जाते हैं। ऐसे में अबकी बार 1 अक्टूबर यानी आज से ही कई तरह के बदलाव हुए हैं जिनका सीधा असर लोगों की जेब पर पड़ा है। आइए खबर में आपको बताते हैं की लाइफ इंश्योरेंस से जुड़े नियमों में आज क्या बदलाव हुआ है।
 

Trending Khabar tv (ब्यूरो)। भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण यानी IRDAI ने आज से जीवन बीमा पॉलिसियों के सरेंडर वैल्यू को लेकर नए नियम (Life Insurance Policy )लागू किए हैं। इन नियमों के अनुसार, अब पॉलिसी होल्डर्स (policy holders)को अपनी पॉलिसी बंद करने पर ज्यादा रिफंड मिलेगा। हालांकि, ये बदलाव बीमा कंपनियों के लिए काफी चैलेंजिंग साबित हो सकते हैं लेकिन इससे पॉलिसीधारकों को काफी फायदा होगा और IRDAI द्वारा लागू किया गया नया नियम बीमा(Life Insurance Policy Rules ) इंडस्ट्री में एक बड़ा बदलाव लाएगा।


नए नियमों से पॉलिसी होल्डर्स को क्या फायदा?(policy holders new rules)


पहले, अगर कोई पॉलिसी होल्डर एक साल के अंदर पॉलिसी बंद करता था तो उसे कोई रिफंड नहीं मिलता था। अब, उसे भुगतान किए गए प्रीमियम का लगभग 80-85% हिस्सा वापस मिलेगा। इतना ही नहीं पॉलिसी होल्डर अब आसानी से एक बीमा कंपनी से दूसरी बीमा कंपनी में जा सकते हैं, बिना ज्यादा पैसा गंवाए।


तो अब कितने पैसे मिलेंगे वापस?


मान लीजिए अगर आप 5 लाख रुपये के इंशोरेंस के साथ 10 साल की पॉलिसी लेते हैं तो पहले साल अगर आपने 50 हजार रुपये का प्रीमियम भरा है तो पुराने नियमों के मुताबिक ऐसे में अगर आप पॉलिसी छोड़ देते हैं तो आपको किसी तरह का कोई रिफंड नहीं मिलता था लेकिन अब नए नियमों के मुताबिक आपको 31 हजार रुपये तक का रिफंड मिल सकता है।


बढ़ सकते हैं प्रीमियम?


इन नए नियमों के लागू होने से हाई सरेंडर वैल्यू के कारण, बीमा कंपनियों को प्रीमियम बढ़ाने पड़ सकते हैं। हाई सरेंडर वैल्यू से बीमा कंपनियों के प्रॉफिट मार्जिन पर असर पड़ सकता है। इतना ही नहीं बीमा कंपनियों को अब पॉलिसी होल्डर्स को अपनी पॉलिसी जारी रखने के लिए और अधिक बेनिफिट्स देने होंगे।


विशेषज्ञों का क्या कहना है?


विशेषज्ञों का मानना है कि ये बदलाव लंबे समय में बीमा कंपनियों के लिए फायदेमंद (Beneficial for insurance companies)साबित होंगे। इससे बीमा कंपनियों को बेहतर प्रोडक्ट और सर्विस देने के लिए प्रेरित किया जाएगा। हालांकि, शॉर्ट टर्म में बीमा कंपनियों को कुछ चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।