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largest Hindu Mandir : भारत में नहीं बल्कि, यहां है दुनिया में सबसे बड़ा हिंदू मंदिर, बना है 7 देशों के पत्थर से मिलकर

World’s Second largest Hindu Mandir:वैसे तो हमारे देश में जगह-जगह मंदिर स्थापित है। लेकिन भारत के बाहर भी एक बड़ा हिंदू मंदिर बन सकता है, ये तो किसी ने नहीं सोचा था। ऐसे में आप भी यह जरूर जानना चाहते होंगे कि दुनिया में दूसरा बड़ा हिंदु मंदिर कहां है। तो आपको बता दें कि अमेरिका के न्यू जर्सी शहर में दुनिया में दूसरे सबसे बड़े हिंदू मंदिर का उद्घाटन किया गया है। आइए जानते हैं इस बारे में खबर के माध्यम से।

 

Trending Khabar tv (ब्यूरो) : जी हां, आपको बता दें कि अमेरिका के न्यू जर्सी में दुनिया के दूसरे सबसे बड़े हिंदू मंदिर का निर्माण किया गया है। इस मंदिर को प्राचीन हिंदू धर्मग्रंथों के मुताबिक डिजाइन किया गया है। इस मंदिर की खासियत यह है कि इस मंदिर के निर्माण में लगे पत्थरों को बुल्गारिया, इटली, यूनान, तुर्की और भारत समेत 7 देशों से मंगाया गया है। यह दिल्ली के अक्षरधाम मंदिर जैसा (world second largest hindu temple)बनाया गया है।आइए विस्तार से जानते हैं इस मंदिर के बारे में खबर के माध्यम से विस्तार से।

 

पिछले साल हुआ था निर्माण


आपको बता दें कि इसका निर्माण पिछले साल 8 अक्टूबर को न्यू जर्सी में स्थित स्वामीनारायण अक्षरधाम मंदिर का उद्घाटन किया गया था। यह मंदिर 191 फुट ऊंचा है। इस मंदिर में स्वामीनारयण जी की पूजा होती है। इस मंदिर के निर्माण में लगे पत्थरों को बुल्गारिया, इटली, यूनान, तुर्की और भारत समेत 7 देशों से मंगाया गया है। इसके अलावा ब्रह्मकुंड या बावड़ी में दुनियाभर की 400 अलग-अलग नदियों (world ka sabse bada hindu mandir)और झीलों का पानी है। इसमें भारत की गंगा और यमुना नदी का भी पानी है।

भगवान स्वामीनारायण के बारे में जानें 


स्वामीनारायण को घनश्याम पांडे भी कहा जाता है। इनकी कहानी काफी रोचक है। 1781 को भगवान श्रीराम की जन्मभूमि कही जाने वाली अयोध्या के पास छपिया नाम के गांव में उनका जन्म हुआ था। ज्योतिषों ने इन्हें देखकर कहना था कि यह बालक दुनियाभर के लोगों को सही दिशा दिखाने का काम करेगा। 8 साल  की उम्र में उनका जनेऊ संस्कार हुआ, 11 साल की उम्र में उन्होंने सभी शास्त्रों को पढ़ लिया, अपने माता-पिता के देहांत के (world ka sabse bada hindu mandir kha hai)पश्चात उन्होंने घर त्याग दिएं और सन्यासी के रूप में जीवन जीने लगें। भारत के कई देशों में भ्रमण करने के बाद वह गुजरात में रुकें।