iPhone यूजर्स की हुई मौज, जल्द ही लॉन्च होगी डायमंड बैटरी
Trending khabar tv (ब्यूरो) : आईफोन यूजर्स के साथ ही कंपनी ने दूसरे डिवाइस का यूज करने वाले लोगो के लिए भी नये साल की खुशी में ग्राहको की मौज कर दी है। कंपनी का कहना है कि अब यूजर्स को आने जाने में फोन के साथ चार्जर ले जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। ऐसे में यूजर्स के लिए कंपनी न्यूक्लियर-डायमंड बैटरी (Diamond Technology)का निर्माण किया है। इस बैटरी का यूज इलेक्ट्रिक डिवाइस में भी कर सकते हैं। आइए जानते हैं खबर के माध्यम से।
किसने किया डायमंड बैटरी का निर्माण
इस डायमंड बैटरी के डिवाइस मे लगते ही ये डिवाइस की लाइफ को 5730 साल तक का कर सकती है। हजारों साल तक यूज में लाने वाली इस बैटरी को इंग्लैंड में बनाया गया है। इंग्लैंड की ब्रिस्टल यूनिवर्सिटी के साइंटिस्ट ने दुनिया की पहली न्यूक्लियर-डायमंड बैटरी तैयार की है। रेडियोएक्टिव पदार्थ और डायमंड मिलकर इलेक्ट्रिसिटी जेनरेट करते हैं। इस बैटरी को चलाने के लिए मोशन की जरूरत नहीं पड़ेगी। कंपनी का कहना है कि इसके बाद इस बैटरी को भारत में भी लॉन्च किया जा सकता है। कंपनी का दावा है कि ये बैटरी एक या दो (Long-Lasting Battery)साल नहीं पूरे 5730 साल चलेगी।
आईफोन में डायमेंड बैटरी का यूज
अगर आप आईफोन का यूज कर रहे है तो आपको बैटरी को लेकर परेशानी नहीं होगी। ये डायमंड बैटरी आपको कामो को और भी आसान कर देगी। ऐसे में आपको फोन को चार्ज करने के लिए इसके चार्जर को लेकर घूमने की जरूरत नहीं होगी। किसी भी छोटे इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस में डायमंड(Sustainable Energy) बैटरी को यूज में लाया जा सकता है। ऐसे में उन लोगो को पावरबैंक लेकर नहीं घूमना पड़ेगा। अगर आपके डिवाइस की उम्र लंबी है तो ये बैटरी हजारों साल तक इसे पावर देने में मददगार साबित होगी।
नॉर्मल बैटरी से अलग है ये बैटरी
डायमंड बैटरी नॉर्मल बैटरी के मुकाबले बेहद ही (Nuclear-powered battery)पावरफुल बैटरी है। ये इलेक्ट्रिसिटी जेनरेट करने वाले किसी भी मशीन से कई गुना बेहतर काम करती है। इस बैटरी के अंदर रेडिएशन है इस वजह से इलेक्ट्रॉन्स स्पीड से घूमते हैं। इसी प्रोसेस से इलेक्ट्रिसिटी जेनरेट होती है। ये सोलर सिस्टम की तरह काम करता है। जैसे सोलर पावर के लिए फोटोवोल्टिक सेल्स का इस्तेमाल किया जाता है। इस बैटरी में फोटोन्स को इलेक्ट्रिसिटी में बदला जाता है।
बैटरी में डायमंड का यूज
अगर आप सोच रहे हैं कि बैटरी बनाने में डायमंड का यूज ही क्यों किया गया है तो इसका जवाब ये है. रेडिएशन को रोकने के लिए कार्बन-14 हीरे का यूज किया गया है। इससे रेडिएशन कम और थोड़ी दूरी तक बनी रहेगी। ये किसी भी सॉलिड मेटेरियल में आसानी से एब्जॉर्ब कर सकती है। इससे रेडिएशन का खतरा भी कम बना रहता है और नुकसान होने का चांस कम रहता है।ये कार्बन-14 को डायरेक्ट खुले हाथ से टच नहीं कर सकते हैं। इस बैटरी में हीरे के अंदर कार्बन-14 नाम का रेडियोएक्टिव पदार्थ यूज (Carbon-14, Radioactive Isotope)किया गया है। इसे आप खा भी नहीं सकते हैं ऐसा करने से ये आपके लिए खतरनाक साबित हो सकता है आपकी जान पर भी बन सकती है।