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NPS से UPS में आने पर क्या होंगे बदलाव, जानें महंगाई राहत जोड़कर कम से कम कितनी बनेगी पेंशन 

UPS Vs NPS: केंद्र सरकार ने सरकारी कर्मचारियों के लिए हाल ही में बड़ा ऐलान किया है। आपको बता दें, सर्कार ने नई योजना, यूनिफाइड पेंशन स्‍कीम (UPS) को मजूरी दे दी है। दरअसल, यह पेंशन योजना सरकारी कर्मचारियों के लिए 1 अप्रैल 2025 से लागू की जाएगी। आइए खबर में विस्तार से जानते है एनपीएस (NPS latest news) के यूपीएस में आने पर क्या क्या बदलाव आएंगे-

 
NPS से UPS में आने पर क्या होंगे बदलाव, जानें महंगाई राहत जोड़कर कम से कम कितनी बनेगी पेंशन 

Trending Khabar TV (ब्यूरो) : सरकार ने केंद्रीय कर्मचारियों को सुनिश्चित पेंशन देने वाली योजना का ऐलान कर दिया है। एकीकृत पेंशन योजना (UPS nkya hai ) से जुड़ने वाले कर्मचारी को कम से कम 10 साल की सेवा के बाद 10 हजार रुपये प्रतिमाह की न्यूनतम पेंशन मिलेगी। इसके साथ महंगाई राहत दर और अन्य भत्ते भी जुड़ेंगे, जिससे कर्मचारी को न्यूनतम 15 हजार रुपये तक की पेंशन मिलनी सुनिश्चित हो सकेगी। नई पेंशन योजना 1 अप्रैल 2025 से लागू होगी।

सरकार ने इस योजना में न्यूनतम पेंशन राशि का स्पष्ट प्रावधान किया है। इससे सातवें वेतन आयोग के पे बैंड 5200 से 20,200 रुपये में न्यूनतम मूल वेतन वाले कर्मचारियों को सेवानिवृत्त होने पर बड़ी राहत मिलेगी। इस पे-बैंड में न्यूनतम मूल (government pension scheme) वेतन 18,000 और 19,900 रुपये है। कर्मचारी का कार्य वर्ष चाहे जितना भी हो, उसकी पेंशन की न्यूनतम राशि 10 हजार रुपये से कम नहीं होगी। पेंशन राशि को महंगाई के सूचकांक से जोड़ा गया है। महंगाई राहत दर (डीआर) के आधार पर पेंशन, पारिवारिक पेंशन और न्यूनतम पेंशन तीनों का निर्धारण होगा।

कर्मचारी का इतना योगदान रहेगा  जारी

यूपीएस अंशदायी रहेगी यानी कर्मचारियों को एनपीएस की तर्ज पर यहां भी अपने मूल वेतन से 10 प्रतिशत का अंशदान करना होगा। हालांकि, सरकार ने यूपीएस में कर्मचारियों को राहत दी है और अतिरिक्त योगदान नहीं बढ़ाया है। वहीं, सरकार एनपीएस में 14 प्रतिशत योगदान करती है, जिसे यूपीएस में बढ़ाकर 18.5 प्रतिशत कर (national pension scheme) दिया गया है। यानी इस योजना में कर्मचारी और सरकार के योगदान को मिलाकर 28.5 फीसदी हिस्सा हर महीने जमा होगा। सरकार की ओर से दिए जाने वाले योगदान की समीक्षा हर तीन साल में होगी।

 

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 कौन है यूपीएस से जुड़ने के लिए याेग्य

 

सरकार के मुताबिक, जो कर्मचारी 1 जनवरी 2004 के बाद सरकारी सेवा में शामिल हुए हैं, उन्हें यूपीएस से जुड़ने का मौका मिलेगा। इसके अलावा एनपीएस अपनाने वाले जो कर्मचारी अब सेवानिवृत्ति हो चुके हैं, वे भी इसे (NPS)  अपना सकते हैं। ऐसे कर्मचारियों को एनपीएस फंड की राशि का समायोजन करने के बाद पेंशन मिलेग। अगर उनका कोई एरियर बनेगा तो उसका भुगतान ब्याज सहित सरकार करेगी।

कर पाएंगे एक पेंशन का चुनाव 

 

सरकार ने कर्मचारियों के लिए एनपीएस और यूपीएस दोनों विकल्प खुले रखे हैं। कर्मचारी अपने फायदे की गणना करके इनमें से किसी (unified Pension Scheme) एक को ही चुन सकते हैं। सरकार 31 मार्च 2024 से पहले एक एकीकृत पोर्टल तैयार करेगी, जिसके माध्यम से कर्मचारी एनपीएस या यूपीए में से चुनाव कर सकेंगे। एक बार विकल्प चुनने के बाद उसमें बदलाव नहीं किया जा सकेगा।

यूपीएस में आने पर क्या होगा असर 

 

कर्मचारियों को एनपीएस और यूपीएस के बीच चयन करने का विकल्प मिलेगा। यदि कोई कर्मचारी एनपीएस से यूपीएस में आता है तो सेवानिवृत्ति पर उसे ग्रेच्युटी मिलेगी। एनपीएस में इसका विकल्प नहीं है। वहीं, यूपीएस में एकमुश्त भुगतान के तौर पर 30 वर्ष की सेवा के लिए एक कर्मचारी को छह माह का वेतन अलग से सेवानिवृत्त होने (Unified Pension Scheme Calculation) पर मिलेगा। एनपीएस में कुल पेंशन फंड से 60 फीसदी एकमुश्त राशि कर्मचारी को मिलती है। बाकी बची 40 फीसदी राशि से पेंशन प्लान अनिवार्य रूप से खरीदना पड़ता है। इसमें पेंशन राशि शेयर बाजार से मिलने वाले मुनाफे पर निर्भर रहती है। इसके उलट यूपीएस में सरकार इस जोखिम को कम करते हुए न्यूनतम पेंशन की गारंटी सुनिश्चित कर रही है।

 

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वीआरएस लेने वाले कर्मियों का करना होगा इंतजार

 

जो कर्मचारी नौकरी से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) ले चुके हैं, वे भी यूपीएस को अपना सकते हैं लेकिन उनके लिए 25 साल की सेवा का प्रावधान लागू होगा। इसका मतलब यह है कि उन्हें 60 साल की उम्र तक पूरी होने का इंतजार करना होगा। इसके (UPS Tax Exemption) बाद यूपीएस से जुड़ सकेंगे लेकिन इस दौरान उन्हें बाकी सुविधाएं मिलती रहेंगी।

कर छूट के नियम जल्द

 

वर्तमान में एनपीएस में योगदान करने वाले कर्मचारी धारा 80 सीसीडी (1) के तहत वेतन (बेसिक + डीए) के 10% तक कर कटौती के लिए पात्र हैं, जो धारा 80 सीसीई के तहत 1.50 लाख रुपये की कुल सीमा के भीतर है। वे 1.50 लाख रुपये की कुल सीमा के अलावा ₹50,000 तक की कटौती का लाभ भी उठा सकते हैं। हालांकि, यूपीएस के तहत (UPS Dearness Allowance)  कर छूट के नियम अभी अधिसूचित नहीं किए गए हैं। माना जा रहा है कि सरकार जल्द ही इन्हें जारी कर सकती है।

इस तरह होगी पेंशन की गणना

अगर कर्मचारी ने 25 वर्षों की सेवा दी है तो उसके अंतिम कार्य वर्ष के 12 महीनों के औसत मूल वेतन की 50 प्रतिशत राशि बतौर पेंशन दी जाएगी। अगर सेवा काल 10 से 25 वर्ष के बीच है तो पेंशन की राशि समानुपातिक आवंटन के आधार पर (UPS VS OPS) तय होगी। साथ ही इसमें महंगाई राहत दर (डीआर) को भी जोड़ा जाएगा। वर्तमान में सेवानिवृत्त कर्मचारियों के लिए डीआर 50 फीसदी है।

25 वर्ष की नौकरी पर

 

यदि कर्मचारी का औसत मूल वेतन 50,000 रुपये है तो इसके 50 फीसदी के तौर पर 25,000 रुपये प्रति माह पेंशन बनेगी। इसमें डीआर अलग से मिलेगा।

15 साल की सेवा पर

25 साल की जगह 15 साल सेवा का अनुपात = 15/25

पेंशन बनेगी : 25,000X15/25 = 15,000 रुपये + डीआर

10 साल की सर्विस पर

25 साल की जगह 10 साल सेवा का अनुपात = 10/25

पेंशन बनेगी : 25,000X10/25 = 10,000 रुपये + डीआर

नई योजना में पेच

- यूपीएस में पूरी पेंशन पाने के लिए न्यूनतम 25 साल का सेवाकाल पूरा करना होगा। अगर सेवानिवृत्ति की आयु 60 साल है, तो सरकारी नौकरी में 35 साल की उम्र तक शामिल होना ही होगा, नहीं तो पेंशन राशि समानुपातिक आवंटन के अनुसार बनेगी।

- पुरानी पेंशन व्यवस्था में जहां कर्मचारी को उसके आखिरी पूरे वेतन का 50 प्रतिशत पेंशन के तौर पर मिलता है, वहीं यूपीएस में आखिरी 12 महीनों के औसत मूल वेतन के आधार पर पेंशन मिलेगी।

- ओपीएस में पेंशन राशि कर मुक्त होती है, जो यूपीएस में नहीं होगी। इसका लाभ फिलहाल सिर्फ उन सरकारी कर्मचारियों को मिल रहा है, जो 1 जनवरी, 2004 से पहले नौकरी में शामिल हुए हैं।

- सरकारी नौकरी में कई बार कर्मचारियों को आखिरी वक्त तक प्रमोशन मिलती है, जिससे उनका आखिरी वेतन ऊंचा होता है। ओपीएस में आखिरी पूरे वेतन पर पेंशन की गणना होती था लेकिन यूपीएस में इसका फायदा नहीं मिलेगा।

कर्मचारी संगठनों की आपत्ति

 

यूपीएस पर कुछ कर्मचारी संगठनों ने आपत्ति भी जताई है। उनका कहना है कि हमारी मांग सेवानिवृत्ति पर 50 प्रतिशत मूल वेतन और डीए के बराबर पेंशन देने की थी। साथ ही सेवानिवृत्ति पर जीपीएफ की तरह ही हमें हमारा पैसा वापस कर दिया जाए, लेकिन सरकार नई व्यवस्था में वह सारा पैसा ले लेगी। यानी कर्मचारियों का 10 प्रतिशत भी और खुद का 18.5 प्रतिशत भी। कर्मचारियों को अपने वाले योगदान में से केवल छह माह के बराबर एकमुश्त रकम मिलेगी। ऐसी स्थिति में तो यूपीएस की बजाए, एनपीएस ज्यादा बेहतर होगा।