इस तरह कैलकुलेट होता है CIBIL Score, जान लें ये पांच चीजें नही होगी लोन लेने में कोई दिक्कत
Trending Khabar TV (ब्यूरो) : अगर आप कभी लोन लेने जाते हैं तो वहां सबसे पहले आपका सिबिल स्कोर (Cibil Score) चेक किया जाता है। क्रेडिट स्कोर (Credit Score) एक तरह से आपका रिपोर्ट कार्ड जैसा होता है, जो बताता है कि पहले के लोन में आपकी रीपेमेंट हिस्ट्री कैसी रही है। वैसे तो यह स्कोर 300 से 900 के बीच रहता है, लेकिन 750 तक या इससे ऊपर के सिबिल स्कोर को ही अच्छा माना जाता है। बेहतर तरीके से ट्रांजेक्शन कर के आप इसे सुधार सकते हैं, लेकिन इसके लिए आपको सबसे पहले ये पता होना चाहिए कि आखिर सिबिल स्कोर कैलकुलेट (Cibil Calculation) कैसे होता है। आइए जानते हैं।
1- पेमेंट हिस्ट्री
आपने अपने पुराने लोन का पेमेंट (payment of old loan) टाइम से किया है या नहीं, ये आपको क्रेडिट स्कोर के कैलकुलेशन में सबसे बड़ा रोल प्ले करता है। इसमें देखा जाता है आपने कितने पेमेंट टाइम पर किए, देर से किए तो कितनी बार कितनी देरी की और ये भी देखते हैं कितनी बार पेमेंट या ईएमआई मिस की है। सिबिल स्कोर के कैलकुलेशन (Calculation of CIBIL Score) में इसकी हिस्सेदारी करीब 35 फीसदी की होती है। CIBIL को लेकर हाल ही में रिजर्व बैंक (RBI new rules) ने एक नया नियम बनाया है, उसे भी जरूर जानिए।
2- क्रेडिट एक्सपोजर
इसके अलावा यह भी देखा जाता है आपके नाम पर कितना क्रेडिट यानी लोन उपलब्ध है और आपने उसमें से कितना हिस्सा इस्तेमाल कर लिया है। सिबिल स्कोर के कैलकुलेशन (Calculation of CIBIL Score) में इसकी हिस्सेदारी करीब 30 फीसदी होती है। तो अगली बार अपने क्रेडिट कार्ड को इस्तेमाल (use credit card) करते वक्त ध्यान रखें कि आप उसकी पूरी लिमिट ना इस्तेमाल करें, बल्कि 30-40 फीसदी तक ही इस्तेमाल करें।
3- क्रेडिट हिस्ट्री
सिबिल स्कोर के कैल्कुलेशन (Calculation of CIBIL Score) में यह भी एक बड़ा पैमाना होता है, जिसकी कैलकुलेशन में हिस्सेदारी करीब 15 फीसदी होती है। क्रेडिट हिस्ट्री का मतलब है जितना लंबा आपका लोन है, उतना ही अधिक आपका सिबिल स्कोर भी हो जाएगा। हालांकि, ध्यान रहे यह लोन बहुत बड़ा नहीं होना चाहिए। साथ ही यह भी ध्यान रहे कि आप अपनी हर ईएमआई समय से चुकाएं। CIBIL को लेकर RBI पहले ही 5 नियम बना चुका है, जिनके बारे भी जरूर जानें।
4- क्रेडिट टाइप
सिबिल स्कोर का कैलकुलेशन करते वक्त यह भी देखा जाता है कि आपके कितने लोन हैं और वह किस टाइप के हैं। इसमें चेक किया जाता है कि कितने अनसेक्योर्ड लोन हैं और कितने सेक्योर्ड लोन हैं। जितने ज्यादा सिक्योर्ड लोन हैं, उतना ही अच्छा आपका सिबिल स्कोर होगा। कैलकुलेशन में इसकी हिस्सेदारी करीब 10 फीसदी की रहती है।
5- लोन से जुड़ी एक्टिविटी (Loan related activities)
इस कैलकुलेशन में बचा हुआ 10 फीसदी आपकी लोन से जुड़ी तमाम एक्टिविटीज को चेक करता है। देखा जाता है कि आपने हाल ही में बहुत सारे लोन तो नहीं लिए हैं, क्योंकि इसका मतलब है कि आप पर लोन का बोझ बढ़ जाएगा। वहीं इसमें यह भी चेक किया जाता है कि आपने कितनी बार लोन के लिए इन्क्वायरी की है, क्योंकि इससे ये माना जाता है कि आप भविष्य में बहुत सारे लोन ले सकते हैं, जिससे आपकी देनदारी काफी बढ़ जाएगी।