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31 जुलाई थी ITR भरने की आखिरी तारीख, अब विभाग धड़ाधड़ भेजेगा नोटिस, जान लें इसका कारण

ITR notice : आईटीरआर फाइल करने की आखिरी तारीख कल यानि कि 31 जुलाई थी जो कि अब खत्म हो चूकी है। टैक्सपेयर्स के लिए ये जरूरी काम डेडलाइन से पहले करना अनिवार्य था। अब जिन लोगों ने ये जरूरी काम नही निपटाया है उनके लिए बड़ी मुश्किल खड़ी होने वाली है। इनकम टैक्स विभाग अब नोटथ्स की बाढ़ लोन वाला है। आइए जान लें इसके पीछे का कारण...
 
31 जुलाई थी ITR भरने की आखिरी तारीख, अब विभाग धड़ाधड़ भेजेगा नोटिस, जान लें इसका कारण

Trending Khabar TV (ब्यूरो) : वित्त वर्ष 2024-25 के लिए आईटीआर फाइल की डेडलाइन (ITR File deadline) 31 जुलाई को यानि कि खत्म हो गई है। इसके अनुसार अब तक जिन्होने की इनकम टैक्स रिर्टन दाखिल नही किया था उन्हे अब इसका अच्छा खासा हर्जाना भुगतना पडने वाला है। लेकिन अगले एक महीने में इनकम टैक्स नोटिसेज की बाढ़ आ सकती है। आशंका जताई जा रही है कि रिएसेसमेंट के नए नियमों के चलते कई लोग टैक्स दायरे से बाहर हो सकते हैं। नए नियम सितंबर से लागू होंगे। रेवेन्यू अधिकारियों ने केंद्रीय अधिकारियों को सचेत किया है कि 1 सितंबर, 2024 से पहले पिछले कुछ वर्षों के पुराने टैक्स रिटर्न को फिर से खोलना लगभग असंभव होगा। 
बजट में घोषित संशोधित नियमों के अनुसार अगर छिपाई गई रकम 50 लाख रुपये से अधिक है तो टैक्स अधिकारी (tax officer) टैक्सपेयर्स का पांच साल पुराना रेकॉर्ड ही दोबारा खंगाल सकता है। अब तक यह अवधि दस साल थी।। इसी तरह अगर छिपाई गई रकम ₹50 लाख से कम है तो टैक्स अधिकारी तीन साल पुराने मामले को ही खंगाल सकते हैं।


बता दें कि वैसे तो टैक्स ऑफिस कार्यालय (tax office) मार्च के आसपास पिछले वर्ष के लिए रिएसेसमेंट नोटिस भेजता था। अब, बजट में रिएसेसमेंट की अधिकतम अवधि को घटाकर पांच वर्ष कर दिया गया है, इसलिए टैक्स अधिकारियों के पास नोटिस भेजने के लिए केवल 31 अगस्त, 2024 तक का समय है। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट (IT Department) बैंकों, प्रॉपर्टी रजिस्ट्रार और इनवेस्टिगेशन विंग के इनपुट के आधार पर रिएसेसमेंट के केस बनाता है। उन्हें अगले कुछ हफ्तों में वित्तीय वर्ष 2013-14 से 2017-18 के लिए टैक्स और इनकम मिसमैच का डेटा खंगालना होगा। इसकी वजह यह है कि 1 सितंबर से इन वर्षों के आयकर रिटर्न को फिर से नहीं खोला जा सकेगा।


क्या है टैक्स अधिकारियों की समस्या


टैक्स अधिकारियों के एक संगठन ने सीबीडीटी (central board of dorect  taxes) के अध्यक्ष को दिए गए ज्ञापन में कहा कि एक महीने की अवधि के भीतर बड़ी संख्या में मामलों में धारा 148 (या 148ए) के तहत नोटिस जारी करना बहुत बड़ा काम होगा। रिएसेसमेंट के लिए नोटिस धारा 148 और 148ए के तहत भेजे जाते हैं। कानून टैक्सपेयर्स को अपनी बात रखने का अधिकार देता है। अधिकांश लोगों का मानना है कि यह प्रक्रिया अगस्त के अंत तक पूरी नहीं हो सकती। अधिकारियों ने सीबीडीटी से नए नियमों को लागू करने की तारीख आगे बढ़ाने का अनुरोध किया है।


लेकिन फिलहाल ये बात भी है कि यह सुझाव कॉरपोरेट और अमीर टैक्सपेयर्स (taxpayers news) को पसंद नहीं आएगा। सीए फर्म चोकशी एंड चोकशी के पार्टनर मितिल चोकशी ने कहा कि रिएसेसमेंट की अवधि को पांच साल तक सीमित करना एक अच्छा निर्णय था। इससे टैक्सपेयर्स की परेशानी और मुकदमेबाजी कम होगी। अगर विभाग को लगता है कि इससे रेवेन्यू का वास्तविक नुकसान हो सकता है तो सरकार सख्त मापदंडों के बारे में सोच सकती है। 


इसमें कुछ मामलों को खोलने की अनुमति दी जा सकती है। लॉ फर्म खेतान एंड कंपनी के पार्टनर आशीष मेहता ने कहा कि अगस्त में रिएसेसमेंट नोटिसेज (reassessment notices) की बाढ़ आ सकती है। ये नोटिस एसेसमेंट ईयर 2018-19 और उससे पहले के लिए हो सकते हैं।