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Joint Loan की नहीं भरी EMI तो जानिए किस पर होगा ज्यादा असर

Loan EMI - आपको बता दें कि जब आप लोन लेते हैं तो आपको उसके लिए हर महीने ईएमआई चुकानी पड़ती है। अगर आपसे यह ईएमआई चुकाने में चूक होती है तो इसका हर्जाना पेनल्टी के रूप में भरना होता है।।। साथ ही आपको बता दें कि अगर आपको लगता है कि आप पर ईएमआई का बोझ (EMI burden) बहुत अधिक है और आपका लोन बहुत बड़ा है तो आप प्रीपेमेंट का इस्तेमाल (use of prepayment) कर सकते हैं।
 
Joint Loan की नहीं भरी EMI तो जानिए किस पर होगा ज्यादा असर

Trending Khabar TV (ब्यूरो) : जब आप लोन लेते हैं तो आपको उसके लिए हर महीने ईएमआई (EMI) चुकानी होती है। अगर आपसे यह ईएमआई चुकाने में चूक होती है तो इसका हर्जाना पेनल्टी के रूप में भरना होता है। आमतौर पर लोग किसी भी तरह का लोन (Loan EMI) अकेले लेते हैं, लेकिन कई बार परिस्थितियों को देखते हुए 2 लोग एक साथ लोन फाइनेंस कराते हैं। इनमें से एक मुख्य कर्जधारक होता है और दूसरा को-एप्लीकेंट होता है। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि कर्ज का बोझ (EMI burden) थोड़ा कम किया जा सके।


हालांकि, अगर दोनों में से कोई एक भी अपनी यह EMI नहीं चुका पाता है तो इसका असर दूसरे पर भी होता है। आज हम आपको बताएंगे कि कैसे को-बोरोअर के एमआई नहीं भरने से आपके लिए परेशानी खड़ी हो सकती है। इसमें पेनल्टी लगना, क्रेडिट कोर खराब होना और अन्य कई चीजें शामिल है। आइए इस पर एक नजर डालते हैं।
 

पेनल्टी-


सबसे पहले आपको बैंक की पेनल्टी का सामना (bank penalty) करना पड़ता है। अगर आपने ईएमआई भरने में 24 घंटे की देरी की तो आपको बैंक (latest bank news) की तरफ से एक मैसेज मिलता है और आपको जल्द-से-जल्द ईएमआई भरने के लिए कहा जाता है। को-बोरोअर के मामले में यह मैसेज दोनों ही कर्जधारकों के पास जाता है। पेनल्टी आपके लोन का 1 से 2 फ़ीसदी तक हो सकती है।


क्रेडिट स्कोर-


किसी भी तरह के लोन को नहीं चुकाने से आपके Credit Score पर फर्क पड़ता है। क्रेडिट स्कोर खराब करने का मतलब है कि आपके लिए भविष्य में लोन लेना मुश्किल और महंगा दोनों हो जाएगा। कोई भी बैंक आप को लोन देने से पहले आप का क्रेडिट स्कोर चेक करता है। अगर आपने पहले लिए गए लोन पर डिफॉल्ट किया है तो आपके लिए आगे कर्ज लेना आसान नहीं होगा।
 

नॉन परफॉर्मिंग एसेट-


अगर आप बैंक को 90 दिन तक यह ईएमआई नहीं देते हैं तो आपके लोन को नॉन परफॉर्मिंग ऐसेट (non performing asset) या एनपीए के रूप में देखा जाता है। ऐसे में बैंक आपकी प्रॉपर्टी को नीलाम भी कर सकता है। इसलिए अगर आपको लगता है कि ईएमआई चुकाने में कुछ समय लगेगा या कोई परेशानी आ रही है तो सबसे बेहतर होगा कि आप जाकर अपने बैंक अधिकारी (Bank officer) से बात करें। आप उससे कुछ समय की मोहलत मांग सकते हैं।
 

प्रीपेमेंट-


अगर आपको लगता है कि आप पर ईएमआई का बोझ बहुत अधिक है और आपका लोन बहुत बड़ा है तो आप प्रीपेमेंट का इस्तेमाल कर सकते हैं। प्रीपेमेंट में आप ईएमआई के अलावा भी कुछ रकम बैंक को समय-समय पर देते रहते हैं। इस रकम से आपके लोन का मूलधन घटता है और अंतत: ईएमआई भी कम होती चली जाती है।