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Gold Price Hike: लगातार बढ़ रही सोने की किमत का ये हैं कारण! दिवाली से पहले सोना हो जाएगा इतना मंहगा

Gold Price Hike Latest News Update: आप जानते हैं कि आए दिन सोने की किमतों में भारी उछाल देखने को मिल रहा हैं। इसी  के चलते हम आपको बता दें कि सोने के बढतें भावों के से दिवाली की शॉपिंग आपके लिए भारी पड सकती हैं। आइए जानते हैं इसका कारण...
 
Gold Price Hike: लगातार बढ़ रही सोने की किमत का ये हैं कारण! दिवाली से पहले सोना हो जाएगा इतना मंहगा

Trending Khabar TV (ब्यूरो): Gold Price Hike Latest News Update: सोने के भावों में लगातार बढोत्तरी देखने को मिल रही हैं। पिछले कई दिनों से सोने की कीमतों में लगातार उछाल देखने को मिला है। आखिर इसकी क्या वजह है? खासकर दिवाली के नजदीक आने के साथ सोने की कीमत बढ़ने लगी है। ऐसे में क्या दिवाली के दौरान आपकी जेब पर तगड़ा असर पड़ने वाला है? आइए जानते हैं विस्तार से।

क्यों बढ़ रहे हैं सोने के दाम? (gold prices)
सोने की कीमत बढ़ने के पीछे डॉलर और अमेरिकी बैंक एक बड़ी वजह है। दरअसल डॉलर लगातार कमजोर हो रहा है। वहीं कयास लगाए जा रहे हैं कि अमेरिका का सेंट्रल बैंक यानी फेडरल रिजर्व ब्याज दरों में कटौती कर सकता है। यही वजह है कि सोने की कीमच ऑल टाइम हाई पर पहुंच गई है।


कितनी बढ़ी सोने की कीमत?
डॉलर की कीमत में जबरदस्त गिरावट देखने को मिली है। ऐसे में 05:51 बजे तक हाजिर सोने का भाव 0.5 प्रतिशत बढ़ गया था। अमेरिकी गोल्ड फ्यूचर्स के दाम 0.2 फीसदी बढ़कर 2,615.80 डॉलर हो गया है। ऐसे में चीन, जापान, इंडोनेशिया, मलेशिया और दक्षिण कोरिया में भी सोने के व्यापार में कमी दर्ज की गई है।

क्या कहते हैं आंकड़े?
डॉलर में 0.2 प्रतिशत की गिरावट हुई है। ऐसे में डॉलर का इस्तेमाल ना करने वालों के लिए सोना सस्ता (cheap gold) होना चाहिए। मगर फेडरल रिजर्व के ब्याज दर बढ़ाने की खबर के कारण सोना महंगा हो सकता है। खबरों की मानें तो आगे भी सोने की कीमत में बढ़ोत्तरी हो सकती है। मुमकिन है कि साल के आखिर तक सोने की कीमत 2700 डॉलर पहुंच जाए। इसके साथ चांदी की कीमत में भी इजाफा देखने को मिल सकता है।

फेड की बैठक पर टिकी निगाहें -
इस हफ्ते सभी की नजर फेडरल रिजर्व पर टिकी रहेंगी। 17-18 सितंबर को फेडरल रिजर्व (federal Reserve) की मॉनिटरी पॉलिसी बैठक होगी। इस बैठक में ब्याज दरों पर कटौती या बढ़ोत्तरी पर चर्चा हो सकती है। इसके बाद बैंक ऑफ इंग्लैंड और बैंक ऑफ जापान भी बड़े फैसले ले सकते हैं।