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Edible Oil Price Hike : दाल के बाद खाने का तेल भी हो गया बेहद महंगा, इस वजह से बढ़ रहे हैं रेट

Edible Oil Price : बढ़ती महंगाई के इस दौर में कोई भी चीज अब आम आदमी के बस की नही रही है। पहले तो केवल दालों के दाम ने लोगों के पसीने छुड़ा दिए थे लेकिन अब खाना पकाने का तेल भी उसी कगार पर पहुंच गया है। हाल ही में अपडेट सामने आ रहे है कि अब खाने के तेल के रेट (edible oil price rise) में भी भारी बढ़ोतरी होने जा रही है। आइए जान लें कि कितने बढ़ गए है रेट और इनके पीछे क्या है कारण...

 
Edible Oil Price Hike : दाल के बाद खाने का तेल भी हो गया बेहद महंगा, इस वजह से बढ़ रहे हैं रेट

Trending Khabar TV (ब्यूरो) : हाल ही में नई सरकार बनने के बाद देश में तीसरी बार लगातार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार आई है।  प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी (PM NarenderModi) का तीसरा कार्यकाल शुरू होते ही महंगाई आग की तरह भड़क रही है। पहले दाल (Pulses price rise) महंगी हुई और अब खाना पकाने का तेल (Cooking Oil price hike) भी महंगा हो गया है। पिछले एक महीने में ही इसकी कीमतों में करीब 15 फीसदी का इजाफा हो गया है। कीमतों में बढ़ोतरी की वजह अर्जेंटीना और ब्राजील से सोयाबीन तेल की सप्लाई घटना और घरेलू सरसों तेल का महंगा होना बताया जाता है। उल्लेखनीय है कि घरेलू मांग पूरा करने के लए हर साल करीब 30 लाख टन सोयाबीन तेल और 25 से 30 लाख टन सूरजमुखी का आयात करना होता है।


जानिए क्यों महंगे हुए खाद्य तेल 


हाल ही में इस मामले पर अडानी विल्मर, इमामी एग्रोटेक और सनविन ग्रुप जैसी कंपनियों ने कहा कि अर्जेंटीना और ब्राजील से सोयाबीन तेल की सप्लाई (Soybean oil supply from Brazil) में व्यवधान के कारण कीमतें बढ़ रही हैं। इसी बीच, भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन महासंघ (National Agricultural Cooperative Marketing Federation of India) और हरियाणा राज्य सहकारी सप्लाई और मार्केटिंग फेडरेशन लिमिटेड (HAFED) ने बड़ी मात्रा में सरसों की खरीदारी की है। इससे सरसों की कीमत बढ़ी है। कुछ ही समय पहले सरसों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (Minimum Support Price of Mustard) या एमएसपी से नीचे चल रहा था। लेकिन इस खरीदारी की वजह से सरसों भाव एमएसपी पर पहुंच गया है। इस समय सरसों का एमएसपी ₹5,650 प्रति क्विंटल है। सरसों महंगा होने से इसके तले का भाव भी करीब 15 फीसदी बढ़ा है।


बाजार में मजबूती की ये है पूरी धारणा

इस मामले पर इंडियन वेजिटेबल ऑयल प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष (President of Indian Vegetable Oil Producers Association) और इमामी एग्रोटेक के सीईओ सुधाकर देसाई ने कहा, "मैं यह नहीं कहूंगा कि आगे बड़ी तेजी की संभावना नहीं है, लेकिन बाजार में मजबूती बने रहने की उम्मीद है।" कारोबारी सूत्रों का कहना है कि अर्जेंटीना में श्रमिकों के विरोध के कारण सोयाबीन तेल की सप्लाई प्रभावित हुई है, जिसके परिणामस्वरूप इस सीजन में सोयाबीन की पेराई कम हुई है। अर्जेंटीना ऑयलसीड क्रशर यूनियन (Argentine Oilseed Crushers Union) ने प्रस्तावित आर्थिक कानून सुधारों के विरोध में हड़ताल का आह्वान किया था, जिसमें वेतन करों को बदलने की बात की गई थी जो क्रशर को प्रभावित करेगी।


ब्राजील में बाढ़ के फलस्वरूप सोयाबीन की फसल हुई प्रभावित

बाढ़ के कारण ब्राजील में सोयाबीन तेल के उत्पादन पर और असर पड़ा है। रिपोर्टों के अनुसार, फसल एजेंसी एमेटर (crop agency Emater) ने 5 जून को कहा कि ब्राजील के सबसे दक्षिणी राज्य रियो ग्रांडे डो सुल में हाल ही में आई बाढ़ से सोयाबीन के नुकसान का अनुमान 2.71 मिलियन टन था।


चीन की खरीदारी का पड़ रहा भारी असर

इसकी जानकारी देते हुए मुंबई की प्रमुख ऑयल ट्रेडिंग कंपनी (Oil Trading Company) सनविन ग्रुप के सीईओ संदीप बाजोरिया ने कहा, "चीन ने हाल ही में भारी मात्रा में सोयाबीन तेल खरीदा है। इससे भी खाद्य तेल की कीमतों पर असर पड़ा है।" वहीं अडानी विल्मर के एमडी अंशु मलिक का कहना कि सोयाबीन तेल की सप्लाई घटी (Soybean oil supply decreased) है।


खुदरा बाजार में बढ़ गए रेट

जानकारी के अनुसार मलिक बताते है कि बीते अप्रैल में सोयाबीन तेल (soybean oil price increase) की एक खेप ब्राजील के रास्ते अर्जेंटीना से आ रही थी। इसमें लगभग 40,000 टन सोयाबीन तेल था। लेकिन मई में, यह घटकर 30,000-32,000 टन रह गया। उनका कहना है कि मई में सोयाबीन तेल की सप्लाई में कमी के परिणामस्वरूप खुदरा बाजार में कीमतों में 3-4 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी हुई है।


सूरजमुखी तेल के भी बढ़ गए दाम

मुंबई की प्रमुख ऑयल ट्रेडिंग कंपनी सनविन ग्रुप के सीईओ संदीप बाजोरिया का कहना है कि इस समय रूस और यूक्रेन से सूरजमुखी तेल की बहुत कम सप्लाई (Very short supply of sunflower oil) है। दरअसल, वहां अभी सूरजमुखी का ऑफ-सीजन है। दरअसल, वहां बढ़ते तापमान ने पिछली फसल को अंतिम दिनों में प्रभावित किया था। यही नहीं, इस साल की फसल पर भी बढ़ते तापमान का असर दिख सकता है। इससे बाजार की धारणा प्रभावित हुई है। सूरजमुखी तेल की कीमतें (sunflower oil prices) पहले से ही 6.5% बढ़ गई हैं।