Movie prime

Cheque Bounce : चेक बाउंस होने पर कब हो सकती  है जेल, चेक यूजर्स जान लें ये जरूरी नियम

Cheque Bounce : भारत देश में चेक बाउंस (cheque bounce) होना एक  वित्तीय अपराध है। इसका असर सिबिल स्कोर पर भी पड़ता है। चेंक बाउंस होने पर कानून आप कर कड़ी करवाई भी कर सकती है। ऐसे में अगर आप किसी व्यक्ति को चेक द्वारा पेमेंट करते हैं और कई कारण वश आपका चेक बाउंस हो जाता है। कानून की एक धारा के तहत सजा और जुर्माना भी हो सकता है। आइए जानते हैं इस बारे में विस्तार से। 
 
Cheque Bounce : चेक बाउंस होने पर कब हो सकती  है जेल, चेक यूजर्स जान लें ये जरूरी नियम

Trending Khabar TV (ब्यूरो) : चेक बाउंस होना कोई छोटा अपराध नहीं हैं। चेक बाउंस सिबिल स्कोर को भी प्रभावित करता है। ऐसे में अगर आप किसी को चेक से पेमेंट का भुगतान करते हैं तो चेक में भरी गई राशि आपके बैंक के खाते में ना मिलने पर चेक बाउंस हो जाता है। आपको सजा भी काटनी पड़ सकती है।  ऐसे में हम आपको इस खबर के माध्यम से बताने जा रहे हैं कि बाउंस होने के मामले में आपको कब तक जेल की सजा (cheque bounce punishment in india) नहीं हो सकती। आइए जानते हैं इस बारे में विस्तरा से।

चेक बाउंस होने पर अदालत कर सकती है कड़ी कार्रवाई
अक्सर देखने में आता हैं कि चेक बाउंस होने  के केस (cheque bounce case) दिनों दिन बढ़ते ही जा रहे हैं। इससे जुड़े ज्यादातर मामलों में राजीनामा न होने पर कानूनी कार्रवाई हो सकती है। चेक बाउंस होने पर सजा के साथ ही जुर्माना भी देना पड़ सकता है। वहीं बेहद कम देखने में आता हैं कि चेक बाउंस के मामले में अभियुक्त को बरी  कर दिया जाता है। आइए जानते हैं कि इस मामले में कानून की क्या राय है। 

 

एक्ट,1881 की धारा 138 के तहत चलाया जाता है केस
चेक बाउंस को हल्के में नहीं लिया जा सकता है। एक से अधिक बार चेक बाउंस (cheque bounce reasons list) होने पर निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट,1881 की धारा 138 के तहत दोषी जाए जाने पर कम से कम 2 साल की सजा और जुर्माना देना पड़ सकता है। ऐसे में कई अदालत 6 महीने या फिर 1साल की जेल काटने की सजा भी देती है। इतना ही नहीं चेक देने वाले व्यक्ति को धारा 357 के तहत यह भी जानकारी (cheque bounce notice) दी जाती है कि चेक में दी गई ये राशि का समय पर भुगतान ना करने पर ये दुगनी हो सकती है।  

सजा होने पर क्या करें
 चेक बाउंस होने पर अदालत दोषी को 7 साल से कम की सजा सुनाती है। इसलिए इसे जमानती अपराध बनाया गया है। बता दें कि कानून की नजरों में चेक का बाउंस होना एक दंडनीय अपराध है। वहींआपको बात दें कि  इसके अंतर्गत चलने वाले केस में अंतिम फैसले तक दोषी को जेल नहीं हो सकती है। ऐसे में चेक देने वाले के पास कुछ अधिकार होते हैं जिससे वह जेल जाने से बच जाता है।  चेक बाउंस केस में अभियुक्त सजा को निलंबित किए जाने के मांग कर सकता है। इसके लिए वह ट्रायल (cheque bounce case legal solution) कोर्ट के सामने दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 389(3) के अंतर्गत आवेदन पेश कर सकता है।


चेक बाउंस होने पर नहीं होगी जेल की सजा
वहीं, दोषी पाए जाने पर भी अभियुक्त दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 374(3) के प्रावधानों के तहत सेशन कोर्ट के सामने 30 दिनों के भीतर (cheque bounce validity period) अपील कर सकता है। क्योंकि अभियुक्त के पास  किसी भी जमानती अपराध में बेल लेने का अधिकार होता है इसलिए चेक बाउंस होने पर अदालत की तरफ से दोषी को जेल की सजा नहीं हो सकती है।

20 प्रतिशत रकम 
2019 में चेक बाउंस केस में निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट,1881 की धारा 139 में अंतरिम प्रतिकर जैसे प्रावधान जोड़े गए है। इसमें दोषी  पहली बार अदालत के सामने पेश होने पर चेक लेने वाले व्यक्ति को चेक में भरी गई राशि का 20 प्रतिशत (cheque bounce charges) रकम देने को कहा जाता था। लेकिन बाद में  सुप्रीम कोर्ट ने इसे बदल कर अपील के समय अंतरिम प्रतिकर दिलवाए जाने के प्रावधान के रूप में कर दिया है। ऐस में  अगर अभियुक्त की अपील स्वीकार हो जाती है जो अभियुक्त को यह राशि वापस दिलवाई जा सकती है।