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Cheque Bounce  : अब चेक बाउंस होने पर मिलेगी इतनी सजा, देना पड़ेगा भारी जुर्माना

cheque bounce new law : भारत में आज के समय में ज्‍यादातर लोग पैसों का लेन-देन ऑनलाइन करना पसंद करते हैं, लेकिन फिर भी जब बात ज्यादा पैसों की आती है तो चेक की उपयोगिता अभी भी कम नहीं हुई। आज भी चेक पैसे निकालने के सबसे सुरक्षित तरीकों में से एक माना जाता है। भारत में चेक बाउंस को एक तरह का अपराध ही माना गया है। आइए जानते हैं इस बारे में खबर के माध्यम से।
 
 
Cheque Bounce  : अब चेक बाउंस होने पर मिलेगी इतनी सजा, देना पड़ेगा भारी जुर्माना

Trending Khabar TV (ब्यूरो) : अगर दिया गया चैक बाउंस हो जाता है तो चेक बाउंस की स्थिति में बैंक पेनल्‍टी वसूलता है।चेक बाउंस होने का मतलब है कि, उस चेक से जो पैसा मिलना था, वह न मिल सका। लेकिन क्या आप जानते हैं (cheque bounce latest judgement)कि चेक बाउंस होता है तो इसके लिए सजा का प्रावधान है। इसके लिए आपको मोटा जुर्माना भी भरना पड़ सकता है। आइए विस्तार से जानते हैं इस बारे में खबर के माध्यम से।

 

 

इतने दिन के अंदर देना होगा नोटिस का जवाब 


आपको बता दें कि चेक बाउंस होने पर दोषी वह शख्स माना जाता है जिसने चेक दिया है। मतलब की अगर आपको चेक किसी और ने दिया है और वह बाउंस हो गया है तो दोषी वह शख्स होगा।  ऐसे में चेक बाउंस होने पर उस शख्स को एक लीगल (cheque bounce case time limit)नोटिस भेजा जाएगा। उस नोटिस का जवाब शख्स को 15 दिन के अंदर देना होगा। अगर वह ऐसा नहीं करता है तो उसके खिलाफ नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट 1881 के तहत मामला दर्ज किया जा सकता है।

 

2 साल तक की जेल 


जानकारी के लिए बता दें कि चेक बाउंस होने का केस भी इस एक्ट की धारा 148 के तहत दर्ज किया जा सकता है। यह एक दंडनीय अपराध होता है। इस अपराध में दोषी को 2 साल तक की जेल मिल सकती है।इसके साथ ही चैक बाउंस  होने पर 800 (cheque bounce new law)रुपये तक की पेनल्टी लग सकती है। पेनल्टी से अलग चेक बाउंस होने पर जुर्माना भी लगाया जाता है। यह चेक पर लिखी रकम का दोगुना हो सकता है।

इस केस में होती है सजा


हालांकि,आपको बता दें कि यह केवल बैंक द्वारा चेक को डिस्ऑनर करने के केस में होता है। चेक बाउंस होने पर ग्राहक के भी कुछ अधिकार होते हैं।अगर चेक बाउंस होने में सजा 7 साल से कम है तो यह ऐ जमानती अपराध है। इसमें अंतिम(cheque bounce legal notice) फैसला आने तक जेल नहीं होती है। मान लों कि अगर इसमें किसी को सजा मिलती है तो इसे ट्रायल कोर्ट के सामने दंड प्रक्रिया संहिता 389(3) के तहत आवेदन कर सकते हैं