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Supreme Court Decision : प्राइवेट या सरकारी प्रोपर्टी पर कब्जा करने वालों को कब मिलता है मालिकाना हक, जानिये सुप्रीम कोर्ट का सुप्रीम फैसला

Supreme Court Decision For Property Rights :  प्रोपर्टी पर कब्जे (Possession of Property) की घटनाओं में तेजी से इजाफा हुआ है। एक बार किसी का प्रोपर्टी पर कब्जा हो गया तो उसे छुड़ाने के लिए कई बार तो सालों लग जाते हैं। क्या आप जानते हैं कि प्रोपर्टी पर कब्जा करने वाला भी उस प्रोपर्टी पर मालिकाना हक (Property Ownership) का दावा कर सकता है। आज हम आपको इसी बारे में बताएंगे...

 
Supreme Court Decision : प्राइवेट या सरकारी प्रोपर्टी पर कब्जा करने वालों को कब मिलता है मालिकाना हक, जानिये सुप्रीम कोर्ट का सुप्रीम फैसला

Trending Khabar TV (ब्यूरो) : आपकी जमीन पर किसी ने कब्जा  कर लिया है या फिर लंबे समय से कोई वहां रह रहा है तो आपको उसे हटाने में लेट लतीफी नहीं करनी चाहिए। कहीं ऐसा न हो की आप अपनी प्रोपर्टी से हाथ धो बैंठें। ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि कब्जाधारी भी प्रोपर्टी पर मालिकाना हक (Property Rights) का दावा कर सकता है। 


इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court Decision) ने 2018 में एक अहम फैसला भी सुनाया था। आईये पहले जानते हैं Supreme Court के  उस फैसले के बारे में जिसमें कब्जाधारी का मालिकाना दावा करने का अधिकार दिया गया है।  

इन लोगों को मिलेगा मालिकाना हक


2018 में आए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court Judgment) के फैसले के अनुसार अगर वास्तविक या वैध मालिक (Property Legal Owner) अपनी अचल संपत्ति (Immovable property) को दूसरे के कब्जे से वापस पाने के लिए समय सीमा के अंदर कदम नहीं उठा पाएंगे तो उनका मालिकाना हक (Owner's right) खत्म हो जाएगा, और उस अचल संपत्ति पर जिसका कब्जा है उसे ही कानूनी तौर पर मालिकाना हक मिल जाएगा।  दे दिया जाएगा। 


लेकिन, सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में ये भी स्पष्ट किया गया है कि सरकारी जमीन (Government Property) पर ये लागू नहीं होगा। मतलब कि सरकारी जमीन पर अवैध कब्जे (illegal possession) को कभी भी कानूनी मान्यता नहीं मिल सकती।

3 जजों ने की इस कानून की व्याख्या


Limitation Act 1963 के अनुसार निजी अचल संपत्ति (Private Property) पर लिमिटेशन (delineation) की वैधानिक अवधि 12 साल है वहीं सरकारी अचल संपत्ति (Government Property) के मामले में ये समय सीमा 30 साल है। 


ये मियाद कब्जे के दिन से शुरू होती है। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के जजों की बेंच ने इस कानून के प्रावधानों की व्याख्या करते हुए कहा कि कानून उस व्यक्ति के साथ है जिसने अचल संपत्ति पर 12 वर्षों से अधिक से कब्जा कर रखा है। अगर 12 वर्ष बाद उसे वहां से हटाया गया तो उसके पास संपत्ति पर दोबारा अधिकार (property rights) पाने के लिए कानून की शरण में जाने का अधिकार मिलेगा।

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा ये सब


सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा, हमारा फैसला है कि संपत्ति पर जिसका कब्जा (Property Possession) है, उसे कोई दूसरा व्यक्ति बिना सही कानूनी प्रक्रिया के वहां से नहीं हटा सकता।  
प्रोपर्टी पर अगर किसी ने 12 साल से अवैध कब्जा कर रखा है तो कानूनी मालिक (Property Legal Owner) के पास भी उसे हटाने का अधिकार भी नहीं होगा। ऐसी स्थिति में अवैध कब्जे वाले को ही प्रोपर्टी पर मालिकाना हक मिलेगा। हमारे विचार से इसका परिणाम से होगा कि एक बार अधिकार (Property Rights), मालिकाना हक (property ownership) या हिस्सा (Property Share) मिल जाने पर उसे वादी कानून के अनुच्छेद 65 के दायरे में तलवार की तरह इस्तेमाल कर सकता है।  वहीं प्रतिवादी (Defendant) के लिए ये एक सुरक्षा कवच होगा। अगर किसी व्यक्ति ने कानून के तहत अवैध कब्जे को भी कानूनी कब्जे में तब्दील कर लिया तो जबरदस्ती हटाए जाने पर उसे कानून मदद भी मिलेगी। 

मकान किराए पर देने वाले भी हो जाएं अलर्ट


दूसरी ओर मकान किराए पर देने वालों के लिए मुश्किल खड़ी हो सकती है।  कई बार प्रॉपर्टी मालिक (property owner) किराये पर चढ़ाने के बाद सालों तक उसकी सुध नहीं लेते। उन्‍हें सिर्फ किराये से मतलब होता है जो हर महीने मिल जाता है। लेकिन ये लापरवाही है और किसी दिन बहुत भारी पड़ सकती है। 
प्रॉपर्टी कानून में ऐसे नियम हैं, जहां लगातार 12 साल तक किसी प्रॉपर्टी पर रहने के बाद किरायेदार (Tenant) उस पर हक का दावा कर सकता है।