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Supreme Court Decision : बिना शादी के हुई औलाद का प्रोपर्टी में कितना अधिकार, सुप्रीम कोर्ट ने 2011 की याचिका पर दिया बड़ा फैसला

Supreme Court Decision : माता पिता की पैतृक संपत्ति (Ancestral Property) में बेटा बेटा को बराबार का अधिकार मिलता है और स्वअर्जित संपत्ति (self acquired property) में माता पिता अपनी औलाद को कम या ज्यादा संपत्ति भी दे सकते हैं, लेकिन अब सवाल ये है कि अगर बिना शादी के लिव इन में रहते हुए बच्चा हो जाए तो उसे संपत्ति में कितना अधिकार मिलेगा।आइए जानते है इसके बारे में विस्तार से.

 
Supreme Court Decision : बिना शादी के हुई औलाद का प्रोपर्टी में कितना अधिकार, सुप्रीम कोर्ट ने 2011 की याचिका पर दिया बड़ा फैसला

Trending Khabar TV (ब्यूरो) : एक सवाल ये भी है कि पिता की मृत्यु से पहले मां-पिता दोनों अलग हो जाते हैं तो ऐसी स्थिति में पैदा हुआ बच्चा पिता पक्ष की विरासत में मिली संपत्ति का हकदार होगा या नहीं? इसी को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court Decision) ने अहम फैसला दिया है।

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसल में कहा कि किसी भी अवैध शादी से जन्मी संतान का उनके माता-पिता की अर्जित और पैतृक प्रॉपर्टी में अधिकार मिलेगा। ऐसे मामलों में बेटियां भी संपत्ति में बराबर की हकदार होंगी। CJI डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि अवैध शादी से जन्मे बच्चे वैध होते हैं। माता-पिता की संपत्ति पर उनका उतना ही अधिकार है, जितना एक वैध शादी में दंपती के बच्चे का होता है।


ज्वाइंट हिंदू फैमिली की संपत्ति पर लागू होगा ये फैसला


Hindu Marriage Act, 1955 के अनुसार किसी शादी को दो आधार पर अमान्य माना जाता है।  एक शादी के दिन से ही और दूसरा जिसे अदालत डिक्री देकर अमान्य घोषित कर दे। हिंदू मैरिज एक्ट के आधार पर अमान्य शादियों में जन्मी संतान माता-पिता की संपत्ति पर दावा कर सकते हैं।
दूसरी आरे सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा कि उनका ये फैसला केवल हिंदू मिताक्षरा कानून के अनुसार ज्वाइंट हिंदू फैमिली की संपत्तियों पर ही लागू होगा।

2011 की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया फैसला


Supreme Court ने ये फैसला 2011 में दायर एक याचिका पर सुनाया, जिसमें हिंदू विवाह अधिनियम, धारा 16(3) को चुनौती दी गई थी।
हिंदू मैरिज एक्ट की धारा 16(3) में कहा गया है कि अमान्य और शून्य विवाह से पैदा हुए बच्चों को माता-पिता की पैतृक संपत्ति में अधिकार नहीं होगा।  अदालत (Supreme Court ) को तय करना था कि किसी अमान्य और शून्य विवाह से पैदा हुए बच्चों को हिंदू कानून के तहत माता-पिता की पैतृक संपत्ति में अधिकार है या नहीं? 

इस पर फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया की अवैध शादी से जन्मी संतान का उनके माता-पिता की स्व अर्जित और पैतृक प्रॉपर्टी दोनों में अधिकार मिलेगा।