Movie prime

Property Knowledge:  प्रोपर्टी खरीदने वालों को पता होना चाहिए क्या है दाखिल खारिज, इसके बिना सरकार नहीं देगी मुआवजा

Dakhil Kharij Meaning in Hindi : आपने कोई प्रॉपर्टी देखी, उसे पसंद किया और मालिक को पैसे भी चुका दिए. इसके बाद प्रॉपर्टी की रजिस्‍ट्री कराकर लोग निश्चिंत होकर घर में बैठ जाते हैं. लेकिन, आप एक जरूरी काम भूल रहे. अगर इस प्रॉपर्टी का दाखिल खारिज (Mutation of Property) नहीं कराया तो कानूनी तौर पर आपको इसका अधिकार भी नहीं मिलेगा.आइए जानते है इसके बारे में विस्तार से.

 
Property Knowledge:  प्रोपर्टी खरीदने वालों को पता होना चाहिए क्या है दाखिल खारिज, इसके बिना सरकार नहीं देगी मुआवजा

Trending Khabar TV (ब्यूरो) : प्रॉपर्टी खरीदना किसी के लिए भी बड़ा फैसला होता है. इसमें आपकी जिंदगीभर की गाढ़ी कमाई लगती है. पैसा ज्‍यादा खर्च होने की वजह से आपको इसे लेकर सावधानी भी खूब बरतनी चाहिए. अमूमन लोग किसी जमीन, मकान या प्रॉपर्टी की रजिस्‍ट्री कराकर निश्चिंत हो जाते हैं. लेकिन, आपको यह पता होना चाहिए कि जमीन की रिजस्‍ट्री कराने भर से ही इस पर आपको पूरी तरह कानूनी अधिकार नहीं मिल जाता. अगर किसी प्रॉपर्टी का दाखिल खारिज (Mutation of Property) नहीं कराया गया तो इस पर आपको पूरी तरह कानूनी हक नहीं मिल सकेगा. लिहाजा प्रॉपर्टी खरीदने के मामले में यह जरूरी है कि आपको रजिस्‍ट्री के कुछ समय बाद उसका दाखिल-खारिज कराना होगा.

आखिर दाखिल-खारिज होता क्या है और क्यों ये इतना जरूरी होता है. दाखिल-खारिज एक ऐसा दस्तावेज है जो आपकी प्रॉपर्टी को किसी भी तरह के पचड़े से बचाने में मदद करता है. अगर आपकी प्रॉपर्टी का दाखिल-खारिज हो गया है तो इसका मतलब है कि किसी को इस बाते से आपत्ति नहीं है कि आपने वह जमीन या घर खरीद लिया है.


आपत्ति से क्या मतलब है?


मान लीजिए आपने एक जमीन खरीदी. वह जमीन आपके पास आने से पहले 4 और लोगों के पास रही थी. अब अगर इनमें से एक भी शख्स ने कोर्ट में जाकर आपके खिलाफ मुकदमा दायर किया कि वह इस खरीद-बिक्री के खिलाफ है और आपके पास दाखिल-खारिज दस्तावेज नहीं हुए तो आपके लिए मुसीबत खड़ी हो जाएगी. दाखिल-खारिज नहीं होने का मतलब है कि उस जगह पर कोई विवाद चल रहा था और जिसने आपको जमीन बेची उसने पुराने मालिक के साथ धोखाधड़ी की है. इस तरह जमीन पर आपके मालिकाना हक पर प्रश्न चिह्न लग जाएगा. दाखिल-खारिज होने का मतलब है कि नगर निगम के दस्तावेजों में प्रॉपर्टी का टाइटल चेंज हो गया है और अब आप उसके कानूनी रूप से सही मालिक हैं.

रजिस्ट्री से कैसे अलग


रजिस्ट्रेशन में प्रॉपर्टी को नए खरीदार को ट्रांसफर किया जाता है. इसमें रजिस्ट्रेशन चार्ज और स्टैंप ड्यूटी देनी होता है. वहीं, म्यूटेशन या दाखिल-खारिज कुछ महीनों बाद नगर निगम के दफ्तर में होता है. म्यूटेशन रिकॉर्ड देखकर आप जमीन के पिछले मालिकों के बारे में भी पता लगा सकते हैं.

नहीं मिलेगा मुआवजा


जमीन बेचते समय यह एक महत्वपूर्ण दस्तावेज होता है. अगर आपने रजिस्ट्री करा भी ली है और कुछ महीने बाद म्यूटेशन नहीं कराया तो कानूनी रूप से जमीन पर आपका अधिकार नहीं माना जाएगा. अगर भविष्य में आपकी वह जमीन किसी ,सरकारी अधिग्रहण के अंतर्गत आई तो आपको मुआवजा भी नहीं मिलेगा.