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Success story: लोगों ने नौकरी छोड़ने पर कहां निकम्‍मा, आज ऐसे करता है करोड़ों की कमाई, जाने ये दिलचस्प कहानी 

Business success Story hindi: मेहनत और हौसलों में दम हो तो चाहे दुनिया कितना भी दबाने की कोसिस करें व्यक्ति एक न एक दिन अपनी मंजिल जरूर हासिल कर लेता है। ऐसी ही कहानी है हरिओम नौट‍ियाल की जो कभी शहर की नौकरी (Business idea) छोड़कर देहरादून में अपने गांव लौटे और उन्‍हें खूब आलोचना झेलनी पड़ी। इतना ही नहीं इसके बावजूद आज वो करोड़ों की कमाई करते है और अपने गांव में एक मिसाल बन गए है। आइए खबर में विस्तार से उनकी ये कहानी-
 

Trending Khabar TV (ब्यूरो) : हरिओम नौट‍ियाल ने सबको गलत साबित करके दिखाया है। शहर की नौकरी छोड़कर गांव लौटने पर लोग उन्हें 'निकम्मा' और 'पागल' बुलाते थे। लेकिन, उन्होंने हार नहीं मानी और (Motivational story in Hindi) आज 2 करोड़ रुपये सालाना का डेयरी व्यवसाय चला रहे हैं। इस सफर में उन्होंने 500 लोगों को रोजगार भी दिया है। हरिओम देहरादून से ताल्‍लुक रखते हैं। उनके वेंचर का नाम 'धन्‍य धेनु' है। आइए, यहां हरिओम की सफलता के सफर के बारे में जानते हैं।

लोगों ने खूब कसें ताने 

जब हरि‍ओम शहर की नौकरी छोड़कर अपने गांव वापस आए तो उन्हें बहुत आलोचनाओं का सामना करना पड़ा। गांव वालों ने उन्हें 'निकम्मा' और 'पागल' कहना शुरू कर दिया। लोग उन्हें बुरा भला कहते, यहां तक कि (Success story in Hindi) बच्चों को भी कहते कि पढ़ाई छोड़ोगे तो हरिओम जैसे बनोगे। हरिओम इन बातों से बचने के लिए किसी भी कार्यक्रम में जाना पसंद नहीं करते थे। हताश हरिओम ने अपने घर के पास एक गौशाला बनवाई। अपनी गाय और उसके (business success story)  बछड़े के साथ समय बिताना उन्हें सुकून देता था। यहीं से उन्हें डेयरी फार्मिंग का विचार आया। गांव वालों ने उनका मजाक उड़ाया। लेकिन, उन्होंने हार नहीं मानी।

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10 गायों से की शुरुआत

हरिओम ने दस गायों से शुरुआत की। शुरुआत में बहुत मुश्किलें आईं। दूध ज्‍यादा होता और खरीदार कोई नहीं मिलता था। कई बार तो उन्हें मुफ्त में दूध देना पड़ता था। अच्छे दिनों में भी सिर्फ 9 रुपये ही (investment tips) कमा पाते थे। गांव वाले मुफ्त में दूध तो ले लेते थे लेकिन उनका मजाक उड़ाना नहीं भूलते थे। हालांकि, हरिओम अपने काम में लगे रहे। धीरे-धीरे उन्हें स्थानीय महिलाओं और अन्य डेयरी किसानों का समर्थन मिलने लगा। 2016 तक उन्होंने एक दूध संग्रह केंद्र स्थापित कर लिया। सरकारी सब्सिडी भी मिलने लगी। उन्होंने अनुसूचित जाति की महिलाओं (Business idea) और विधवाओं को विशेष रूप से प्रोत्साहित किया।

आज लोगों में बना मिसाल 

हरि‍ओम ने दूध की गुणवत्ता पर पूरा ध्यान दिया। जैविक चारा इस्तेमाल किया। ग्राहकों को मुफ्त में लैक्टोमीटर भी दिए। इससे लोगों का विश्वास जीतने में उन्हें सफलता मिली। आज हरि‍ओम देहरादून और ऋषिकेश (Milk business story) में रोजाना 250 लीटर दूध बेचते हैं। उनके वेंचर का नाम 'धन्‍य धेनु' है। ऋषिकेश के रहने वाले कई ग्राहक पिछले नौ सालों से हरिओम से ही दूध खरीद रहे हैं। उन्हें ताजा और शुद्ध दूध मिलता है। यहां तक कि जब उनके बच्चे दिल्ली से आते हैं तो वे उनके साथ हरिओम का दूध ही भिजवाते हैं।

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सालाना 2 करोड़ का कारोबार

दूध बचने के अलावा हरिओम मावा, आइसक्रीम, रबड़ी, फालूदा और अचार भी बनाते हैं। वह अपने उत्पाद स्थानीय बाजार (motivational story) के साथ व्यापार मेलों में भी बेचते हैं। उनका व्यवसाय अब 2 करोड़ रुपये सालाना का हो गया है। हरिओम की सफलता ने उनके समुदाय को बदल दिया है। वह