UPI, RTGS और NEFT में होता है ये अंतर, अधिकतर को नही है जानकारी
Digital Transaction Mode : अक्सर आपने देखा होगा की नई तकनीक के इस दौर में पैसे का लेनदेन करने वालों की संख्या हर रोज बढ़ती ही जा रही है। हर कोई किसी ने किसी काम की वजह से ऑनलाइन पैसे का लेनदेन करता ही रहता है। ऐसे में आपने देखा होगा कि ऑनलाइन फंड ट्रांसफर करने के मामले में यूपीआई, RTGS और NEFT काफी चर्चित है। आज की इस खबर में हम आपको बताने जा रहे हैं उनके बीच क्या-क्या है डिफरेंस और उनके क्या है फायदे।
Trending Khabar TV (ब्यूरो) : पैसों के लेनदेन के तरीके में पिछले 10 साल के भीतर काफी बदलाव देखने को मिला है। जहां पहले लोग एक बैंक अकाउंट से दूसरे बैंक अकाउंट में पैसे ट्रांसफर करने के लिए बैंक जाते थे वह काम अब चुटकी भर में हो जाता है। जी हां, UPI, IMPS, RTGS, NEFT ने पैसे के लेनदेन के तरीके को पूरी तरह से बदल दिया है।
अब लोग ऑनलाइन पेमेंट करना काफी पसंद करते हैं। ऑनलाइन फंड ट्रांसफर ने एक हद तक हमारे पर्स को डिजिटल बना दिया है। अब घर से निकलने पर पॉकेट में हाथ डालकर पर्स चेक करने की जरूरत नहीं होती है। देखा जा रहा है कि ऑनलाइन लेनदेन करने के वैसे तो कई तरीके हैं लेकिन यूपीआई अब तक काफी पॉपुलर बना हुआ है। आइए खबर मैं हम आपको बताते हैं ऑनलाइन लेनदेन करने के कई अच्छे तरीकों के बारे में विस्तार से।
UPI
सरकार द्वारा शुरू की गई 'Digital India' अभियान में यूपीआई की अहम भूमिका है। यह कैशलेस ट्रांजैक्शन को पूरी तरह से बढ़ावा दे रहा है। आज भारत ही नहीं दुनिया के कई देशों में यूपीआई का इस्तेमाल होता है। आरबीआई और एनपीसीआई (NPCI) ने साल 2016 में यूनिफाइड इंटरफेस पेमेंट (UPI) को लॉन्च किया था। यूपीआई के जरिये पेमेंट करना काफी आसान है। इस वजह से लोगों के बीच यह काफी पॉपुलर है।
यूपीआई की लोकप्रियता इस बात से साबित हो जाती है कि एक महीने में 10 लाख से ज्यादा यूजर यूपीआई के जरिये पेमेंट करते हैं। अब पटरी की दुकानों से लेकर मॉल के शोरूम तक यूपीआई ने अपनी धाक जमा ली है।
UPI के फायदे
सिंगल क्लिक के जरिये आसानी से यूपीआई पेमेंट की जा सकती है।
यूपीआई के जरिये पेमेंट भी की जा सकती है और रिसीव भी किया जा सकता है।
यूपीआई यूजर एक दिन में 1 लाख रुपये तक की पेमेंट कर सकते हैं।
यूपीआई आईडी के माध्यम से आसानी से कहीं भी पेमेंट की जा सकती है।
ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीके से यूपीआई पेमेंट किया जा सकता है।
RTGS
RTGS जिसे रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट भी कहते हैं। इसमें भी आप कितनी भी राशि ट्रांसफर कर सकते हैं। RTGS की शुरुआत 1985 में 3 सेंट्रल बैंक के जरिये हुई थी। आरबीआई ने 2004 में इसे भारत में लॉन्च किया था। आज 72 से ज्यादा बैंकों में RTGS की सुविधा मिलती है। इसमें भी लेनदेन की कोई अधिकतम और न्यूनतम लिमिट नहीं होती है।
RTGS के फायदे
RTGS से ऑनलाइन और ऑफलाइन पेमेंट की जा सकती है।
इसमें पेमेंट को शेड्यूल भी किया जा सकता है।
RTGS की सर्विस 24X7 उपलब्ध है। यानी कभी भी पेमेंट किया जा सकता है।
यह वन-टू-वन क्रेडिटिंग सिस्टम है।
NEFT
साल 2005 में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने NEFT की शुरुआत की थी। यह एक तरह का इलेक्ट्रॉनिक फंड है जिसका इस्तेमाल फंड ट्रांसफर के लिए किया जाता है। बता दें कि NEFT के जरिये आसानी से एक बैंक से दूसरे बैंक में पैसे ट्रांसफर कर सकते हैं। हालांकि, इसके लिए NEFT-इनेबल बैंक अकाउंट होना जरूरी है।
यह फंड ट्रांसफर करने का सिक्योर तरीका है। NEFT के जरिये फंड ट्रांसफर करने के लिए कस्टमर को बैंक में जाकर फॉर्म फिल करना होता है। इस फॉर्म में वह सेंडर और रिसीवर के बैंक अकाउंट की डिटेल्स देता है जिसके बाद बैंक द्वारा फंड ट्रांसफर किया जाता है।
NEFT के फायदे
NEFT एक वन-टू-वन- पेमेंट फैसलिटी है। इसमें फंड ट्रांसफर करने के लिए थर्ड पार्टी की जरूरत नहीं होती है।
NEFT के जरिये फंड ट्रांसफर करने के लिए बैंक द्वारा कम चार्ज लिया जाता है।
NEFT के जरिये आधे घंटे में फंड ट्रांसफर हो जाता है।
यह फंड ट्रांसफर करने का सिक्योर और फास्टेस्ट तरीका है।
फंड ट्रांसफर करने के लिए कोई चेक, डिमांड ड्राफ्ट की जरूरत नहीं होती है।
NEFT के जरिये लोन, क्रेडिट कार्ड की पेमेंट भी की जा सकती है।