Income Tax और GST की जांच में चाट-पकौड़ी और समोसे बेचने वाले 256 लोग निकले करोड़ों के मालिक
Trending Khabar TV (ब्यूरो)। यूपी (Uttar Pradesh News) का कानपुर (Kanpur) शहर यूं तो क्राइम, ठग्गू के लड्डू और अपनी बेबाक बोली के लिए मशहूर है लेकिन इस बार इस शहर के लोगों ने एक और कारनामा कर दिखाया है। कानपुर में सड़क किनारे ठेला या खोमचा लगाकर पान, खस्ते, चाट और समोसे बेचने वाले 256 लोग जांच में करोड़पति निकले हैं। कानपुर में सिर्फ ठेले वाले ही नहीं, छोटी-छोटी किराना की दुकान चलाने वाले और दवा व्यापारी भी करोड़ों की संपत्ति के मालिक (owner of property worth crores) हैं। जांच में सामने आया है कि फल बेचने वाले कई लोग भी सैकड़ों बीघा कृषि जमीन के मालिक हैं।
बिग डेटा सॉफ्टवेयर, आयकर विभाग (Income Tax Latest Updates) और जीएसटी रजिस्ट्रेशन की जांच ( Income Tax and GST investigation) में ऐसे 256 लोग सामने आए हैं जो कि ठेला लगाकर घर चला रहे हैं लेकिन असल में करोड़पति (millionaire) हैं। यहां ऐसे कई कबाड़ी हैं जिनके पास तीन-तीन कारें हैं और वे भी सभी SUV हैं। हालांकि ये अलग बात है कि इतनी संपत्ति और कमाई होने के बावजूद ये लोग इनकम टैक्स नहीं भर रहे हैं।
आयकर विभाग और GST इसे लोगों की तलाश कर रहा है जो कि खुद को गरीब दिखा रहे हैं लेकिन असल में करोड़ों के मालिक हैं। टैक्सपेयर्स की मॉनिटरिंग (Monitoring of taxpayers) के अलावा आयकर विभाग ने इस बार गली-मोहल्लों में किराना दुकान चला रहे, ठेला लगा रहे या मेडिकल स्टोर चला रहे लोगों की भी जांच की है।
बिग डेटा सॉफ्टवेयर की नई तकनीक से पकड़े गए
आयकर विभाग के मुताबिक़ (According to Income Tax Department) बिग डेटा सॉफ्टवेयर तकनीक के इस्तेमाल से अब इन जैसे लोगों का बचना नामुमकिन हो गया है। ये ख़ुफ़िया करोड़पति लगातार संपत्तियां खरीद रहे हैं और GST रजिस्ट्रेशन से बाहर हैं। इन लोगों ने कभी भी टैक्स के नाम पर सरकार एक एक रुपया तक नहीं चुकाया है जबकि ये करोड़ों के मालिक हैं। बिरहाना रोड, मालरोड, पी रोड के चाट व्यापारियों ने जमीनों पर खासा निवेश किया। जीएसटी रजिस्ट्रेशन से बाहर छोटे किराना व्यापारियों और दवा व्यापारियों की संख्या 65 से ज्यादा है जिन्होंने करोड़ों रुपए कमाए हैं।
चार साल में खरीद ली 375 करोड़ की प्रापर्टी
जांच में सामने आया है कि जीएसटी रजिस्ट्रेशन (GST registration) से बाहर इन व्यापारियों ने चार साल में 375 करोड़ रुपए की प्रापर्टी खरीदी है। ये संपत्तियां आर्यनगर, स्वरूप नगर, बिरहाना रोड, हूलागंज, पीरोड, गुमटी जैसे बेहद महंगे कामर्शियल इलाकों में खरीदी गईं। इसके आलावा दक्षिण कानपुर में रिहायशी जमीनें भी खरीदीं गई हैं। कई ठेले वालों ने 650 बीघा कृषि जमीन खरीदी है। ये जमीनें कानपुर देहात, कानपुर नगर के ग्रामीण इलाकों, बिठूर, नारामऊ, मंधना, बिल्हौर, ककवन, सरसौल से लेकर फर्रुखाबाद तक खरीदी गई हैं।
आर्यनगर की दो, स्वरूप नगर की एक और बिरहाना रोड की दो पान दुकानों के मालिकों ने कोरोना काल में पांच करोड़ की प्रापर्टी खरीदी है। मालरोड का खस्ते वाला अलग-अलग ठेलों पर हर महीने सवा लाख रुपए किराया दे रहा है। इसके अलावा स्वरूप नगर, हूलागंज के दो खस्ते वालों ने दो इमारतें खरीदी हैं। लालबंगला का एक और बेकनगंज के दो कबाड़ियों ने तीन संपत्तियां दो साल में खरीदी हैं, जिनकी बाजार कीमत दस करोड़ से ज्यादा है।