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 HDFC Bank के करोड़ों ग्राहकों की हुई मौज, वहीं बैंक को लगा बड़ा तमाचा 

HDFC Bank Latest Update: अपना घर हर किसी का सपना होता है। दरअसल, आम आदमी का अपनी मासिक सैलरी में घर के लिए बचत कर पाना काफी मुश्किल हो जाता है। जिसके लिए अक्सर लोग होम लोन (home loan interest rates) का सहारा लेते है। अगर आप भी होपमे लोन लेने का मन बना रहे है तो एचडीएफसी बैंक ग्राहकों के लिए बड़ा अपडेट (HDFC bank latest news) सामने आया है। आइए खबर में विस्तार से जानते है इसके बारे में-

 

Trending Khabar TV (ब्यूरो) : HDFC Bank Home Loan हाउसिंग डेवलपमेंट फाइनेंस कॉरपोरेशन लिमिटेड ने पटना के शास्त्रीनगर में रहने वाले शंभू प्रसाद सिंह को होम लोन की पेशकश की। शर्त यह थी कि एचडीएफसी बैंक में उनका बचत खाता कम-से-कम तीन माह पुराना होना चाहिए।

इसी के साथ उन्हें एक कूपन भी दिया गया, जो ब्याज दर में तीन प्रतिशत की कमी और प्रोसिंसिंग शुल्क से मुक्ति की गारंटी (HDFC bank loan interest rates) देने वाला था। रियायती त्रण के लिए शंभू एचडीएफसी बैंक की एक्जीविशन रोड शाखा में खाताधारक बन गए। उसके बाद उन्हें 7.31 लाख रुपये का होम लोन मिला, लेकिन ब्याज दर और प्रोसिसिंग शुल्क में कोई राहत नहीं मिली।

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उपभोक्ता आयोग में पहुंचा ये मामला

आपत्ति करने पर एचडीएफसी प्राधिकार ने ऐसे किसी कूपन से इन्कार कर दिया। यह मामला वर्ष 2007 का है। अंतत: शंभू जिला उपभोक्ता (HDFC bank home loan application) आयोग की शरण में पहुंचे। आयोग के अध्यक्ष प्रेम रंजन मिश्रा और सदस्य रजनीश कुमार ने तथ्यों का गंभीरता से अवलोकन किया।

बैंक ने किया इन शर्तों का उल्लंघन

एचडीएफसी के ब्रोशर में ब्याज में कमी व प्रोसेसिंग शुल्क से छूट का स्पष्ट उल्लेख मिला। ऐसे में स्पष्ट है कि एचडीएफसी ने शर्तों का उल्लंघन किया।

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उल्लेखनीय तथ्य यह है कि शिकायत करने पर ग्राहक को प्रोसेसिंग शुल्क (HDFC bank home loan rules) की 50 प्रतिशत राशि वापस भी कर दी गई थी। आयोग ने इसे ग्राहक को संतुष्ट करने का प्रयास माना, लेकिन इस प्रयास में शर्तों का शत प्रतिशत अनुपालन नहीं हुआ।

ग्राहक के हक में आया फैसला

अंतत: आयोग ने एचडीएफसी बैंक और फाइनांस कॉरपोरेशन दोनों को दोषी माना। निर्णय दिया कि शिकायत की तिथि (11 सितंबर, 2007) से छह प्रतिशत (HDFC bank rule change) ब्याज जोड़ते हुए शंभू को 1,50,000 रुपये वापस किए जाएं। पिछले 17 वर्षों से उन्होंने जो मानसिक-शारीरिक पीड़ा झेली है, उसके हर्जाना स्वरूप 40,000 रुपये और कानूनी खर्च के एवज में 10,000 रुपये अतिरिक्त देने हैं।