{"vars":{"id": "115072:4816"}}

Bank Privatisation : प्राइवेट होने जा रहा है ये सरकारी बैंक, सरकार कमाएगी 29,000 करोड़ रुपये

Bank Privatisation : हाल ही में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय रिजर्व बैंक ने इस सरकारी बैंक के प्राइवेटाइजेशन का रास्ता साफ कर दिया है। दरअसल आपको बता दें कि केंद्रीय बैंक यह जांच करता है कि बोली लगाने वाले सही मानदंडों को पूरा करते हैं या नहीं। यह भी चेक किया जाता है कि बोली लगाने वाले नियमों का पालन करते हैं या नहीं और वे अन्य नियामकों की निगरानी में हैं या नहीं।
 

 

 Trending Khabar TV (ब्यूरो) :  RBI on Bank Privatisation News: आईडीबीआई बैंक के निजीकरण (प्राइवेटाइजेशन) का रास्ता अब लगभग साफ हो गया है। आरबीआई ने बैंक के लिए बोली लगाने वाले निवेशकों की जांच-पड़ताल कर 'फिट एंड प्रॉपर' रिपोर्ट दे दी है। नरेंद्र मोदी सरकार ने मई 2021 में इस बैंक में सरकारी हिस्सेदारी बेचने का प्रोसेस शुरू की थी। तब से केंद्र सरकार आरबीआई से हरी झंडी मिलने का इंतजार कर रही है।



केंद्रीय बैंक यह जांच करता है कि बोली लगाने वाले सही मानदंडों को पूरा करते हैं या नहीं। यह भी चेक किया जाता है कि बोली लगाने वाले नियमों का पालन करते हैं या नहीं और वे अन्य नियामकों की निगरानी में हैं या नहीं। RBI से फिट एंड प्रॉपर रिपोर्ट मिलने के बाद अब सबकी निगाहें 23 मई को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finanace Minister Nirmala Sithraman) द्वारा पेश किए जाने वाले बजट पर टिकी हैं। बाजार को भी इस बात का इंतजार है कि विनिवेश पर बजट में सरकार की तरफ से क्या संकेत मिलता है



विदेशी बोलीदाता पर नहीं दी गई रिपोर्ट-

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank Of India) ने एक को छोड़कर बाकी सभी विदेशी बोलीदाताओं(Foreign Bidders) पर अपनी रिपोर्ट दे दी है। इस विदेशी बोलीदाता ने अपनी जानकारी साझा नहीं की और न ही विदेशी नियामक ने उसके बारे में डेटा उपलब्ध कराया है।

सरकार की इतनी है हिस्सेदारी-
आपको बता दें कि IDBI Bank में केंद्र सरकार की 45.5 प्रतिशत हिस्सेदारी है। वहीं, एलआईसी की 49 प्रतिशत से ज़्यादा हिस्सेदारी है। आईडीबीआई पहले एक वित्तीय संस्थान था जो बाद में बैंक बन गया। सरकार की विनिवेश योजना के मुताबिक, सरकार बैंक में 60.7% हिस्सेदारी बेच सकती है। इसमें सरकार की 30.5% और एलआईसी की 30.2% हिस्सेदारी शामिल है।



सरकार को 29,000 करोड़ मिलने की उम्मीद-
IDBI का मार्केट कैप इस समय करीब 99.78 हजार करोड़ रुपये है। मौजूदा मार्केट वैल्यूएशन के हिसाब से सरकार को हिस्सेदारी बेचकर 29,000 करोड़ रुपये से ज्यादा मिल सकते हैं। सरकार ने बीपीसीएल, कॉनकॉर, बीईएमएल, शिपिंग कॉरपोरेशन, IDBI Bank और एक बीमा कंपनी को बेचने की योजना बनाई थी। लेकिन पिछले 18 महीनों से इस दिशा में कोई प्रगति नहीं हुई है। सरकार ने बीपीसीएल के विनिवेश को टाल दिया है। पेट्रोलियम मंत्री हरदीप पुरी (Petroleum Minister Hardeep Puri) ने भी हाल ही में इसकी पुष्टि की थी।


विनिवेश पर सरकार का रुख-
पिछले 10 सालों में सरकार ने बार-बार उन सेक्टरों से बाहर निकलने की बात की है जो 'गैर-रणनीतिक (नॉन स्ट्रेटजिक)' हैं। लेकिन अभी तक सिर्फ़ एयर इंडिया का ही विनिवेश हो पाया है। बाज़ार विश्लेषकों का कहना है कि आईडीबीआई बैंक के निजीकरण में कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए। उनका कहना है कि यह एक निजी संस्था है। इसमें सरकार की हिस्सेदारी बढ़ाने की वजह यह है कि सरकार को कर्ज़ के कारण होने वाले भारी घाटे से उबरने के लिए इसमें पूंजी डालनी है।