{"vars":{"id": "115072:4816"}}

Agriculture News : इस पौधे की खेती बना देगी करोड़पति, 3000 रुपए किलो बिकता है इसका बीज

Agriculture With Income : किसान अब पारंपरिक खेती की जगह मुनाफा देने वाली नकदी फसलों की खेती कर रहे हैं। किसान अब ऐसी खेती की तरफ अधिक आकर्षित हो रहे हैं।जिनसे उन्हें अच्छा खासा मुनाफा हासिल हो सकें। ऐसे में सर्पगंधा की खेती किसानों के लिए फायदेमंद हो सकती है। इसकी खेती से किसान मोटी कमाई कर सकते हैं। आइए जानते हैं इसकी खेती के बारे में खबर के माध्यम से।

 

Trending Khabar TV (ब्यूरो) : अगर आप एक किसान है तो ये खबर आपके लिए फायदेमंद होने वाली है। बता दें कि सर्पगंधा की खेती किसानों के लिए बेस्ट ऑप्शन साबित हो सकती है। इसकी खेती से किसान अपनी आमदनी (Sarpgandha Farming)काफी बढ़ा सकते हैं। सर्पगंधा के बीज की कीमत 3000 रुपए किलो है। इसकी डिमांड भी मार्केट में बरकरार रहती है। आइए विस्तार से जानते हैं इसकी खेती के बारे में खबर के माध्यम से।

 

कम लागत में बंपर कमाई 


भारत में सर्पगंधा की खेती सालों से हो रही है। खासकर इसकी खेती उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, ओडिशा, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और केरल जैसे राज्यों में मुख्य रूप से होती है। हां लेकिन जलभराव वाले क्षेत्रों में इसकी खेती नहीं की जा (Sarpgandha ki kheti kaise kre)सकती। बता दें कि रेतीली दोमट और काली कपासिया मिट्टी को सर्पगंधा की खेती के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है। इसकी खेती से किसान कम समय में ही करोड़पति बन सकते हैं। 

ये तरीका आएगा काम


अगर आप भी सर्पगंधा की खेती करने के बारे में सोच रहे हैं तो इसके लिए आप एक उपजाऊ खेत का चयन करें। सबसे पहले खेत की जुताई करें। उसके बाद खेती में सड़ी गोबर की खाद डाल दीजिए। उसके बाद बीज बोने से पहले 12 घंटे तक पानी में(Income From Sarpgandha Farming) डूबोकर रखने की सलाह दी जाती है। ऐसा कहा जाता है कि इस विधि से बुवाई करने पर पौधे की बढ़वार और पैदावार अच्छी होती है।


ऐसे करें सर्पगंधा की खेती


जब इस पौधे पर पहली बार फूल आएं तो उसे तोड़ देना चाहिए। दूसरी बार फूल आने पर उसे बीज बनने के लिए छोड़ दिया जाता है। किसान भाई सप्ताह में दो बार बीजों को चुन सकते हैं।वैसे तो सर्पगंधा का पौधा 4 साल तक फूल और बीज दे सकता है। (Medicinal Plant Farming)लेकिन 30 माह तक पौधों से पैदावार लेने की सलाह देते हैं। इसके बाद गुणवत्ता में कमी आ जाती है और उसका अच्छा भाव नहीं मिलता।